नशा छन करिहा संतो
गुरु घासीदास बाबा जी की अमर वाणी "नशा छन करिहा संतो।" वैसे तो मैं कभी भी आलोचनात्मक लेख लिखने के पक्ष में नहीं होता हूं। लेकिन आज बाबा गुरु घासीदास जी के अमर वाणी में से एक वाणी के ऊपर लिख रहा हूं। बाबाजी ने भी आलोचनात्मक वाणी का प्रयोग नहीं किया। बल्कि वे समाज को एक संदेश दिए की संत समाज को किन-किन चीजों से बचकर रहना चाहिए। वर्तमान स्थिति में देख तो समाज में नशा का चलन बहुत ज्यादा बढ़ गया है। कुछ लोग तो ऐसे हैं कि जिनके सुबह ही मूंह धोने के स्थान पर शराब से कुल्ला करना पसंद करते हैं। ऐसे लोग बहुत ज्यादा शराब के नशे में डूब गए होते हैं। एक बहुत बड़ी आबादी समाज में ऐसे लोगों की है। जो कम से कम प्रति दिन एक पव्वा तो शराब जरूर पीते हैं। ऐसे लोगों से पूछो कि यार तुम रोज पीते हो रोज इतने पैसे कहां से ले आते हो। तब वे कहते हैं की सब जुगाड़ हो जाता है। और पूछो यार तब तो तुम्हारी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी होगी। तब जवाब यही मिलता है , कहां यार पैसे की बहुत तंगी है। तब उनसे कहो कि भाई इतना शराब क्यों पीते हो कुछ पैसे बच जाते यदि नहीं पीत...