Posts

Showing posts from June, 2021

दान

प्रत्येक प्रोफेशन में इनकम की व्यवस्था करना पड़ता है। तभी वह व्यवस्था युगो युगो तक चलता है। हमारे सतनामी समाज में धार्मिक कृत्य करने वालों के लिए इनकम की व्यवस्था नहीं है। उल्टा दान देने वाला और लेने वाले को ही पाप बोल दिया गया है। जबकि दूसरे धर्मों में दान का विधान बनाया गया है।  जिसके कारण उनके धर्म संगठित हैं और फल फूल रहे हैं। दूसरी तरफ हमारे धर्म से लोग पलायन कर रहे हैं।  प्रत्येक प्रोफेशन में उच्च पद है तो निम्न पद भी है जैसे को डाक्टरी विभाग को लेते हैं । सर्जन और एमडी हैं तो वही झोलाछाप डॉक्टर भी है। कंपाउंडर हैं तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी है। सभी की अपनी-अपनी योग्यता के अनुसार पदभार संभाले हुए। ऐसे ही धार्मिक क्षेत्र में भी है।    यदि धर्म की ओर आगे बढ़ेंगे तो दान की प्रवृत्ति को बढ़ाना पड़ेगा। ताकि उस सिस्टम को चलाने के लिए वह खुद ही अपने लिए आर्थिक उपार्जन कर सकें।  जैसे कि सामाजिक सेवा का कार्य है। यह क्षेत्र हमारे समाज में दान के पैसे से चलता है। परंतु दान के पैसे का बंदरबांट होने की वजह से बहुत से लोग सामाजिक संगठनों में भी दान नहीं करते।  दरस...

सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण राशियां एवं ग्रह

सतोगुण राशियाँ - मिथुन , कर्क , धनु  और मीन  रजोगुण राशियाँ - मेष , वृष , सिंह और तुला  तमोगुण राशियाँ - कन्या , वृश्चिक , मकर और कुम्भ । तमोगुण प्रधान मनुष्य आलसी, अकर्मण्य निराश और परमुखापेक्षी होता है। वह हर बात में दूसरों का सहारा टटोलता है, अपने ऊपर अपनी शक्तियों के ऊपर उसे विश्वास नहीं होता।  जब उसे किसी ओर से समुचित सहयोग नहीं मिलता तो खिन्न और क्रुद्ध होकर दूसरों पर दोषारोपण करता है और लड़ता झगड़ता है। लकवा मार जाने वाले रोगी की तरह उसकी शक्तियाँ कुण्ठित हो जाती हैं और जड़ता एवं मूढ़ता में मनोभूमि जकड़ जाती है। शरीर में स्थूल बल थोड़ा बहुत भले ही रहे पर प्राण शक्ति, आत्मबल, शौर्य एवं तेज का नितान्त अभाव रहता है। ऐसे व्यक्ति बहुधा, कायर, कुकर्मी, क्रूर, आलसी और अहंकारी होते हैं। उसके आचरण, विचार, आहार कार्य और उद्देश्य सभी मलीन होते हैं। तमोगुण पशुता का चिन्ह है। चौरासी लाख योनियों में तमोगुण ही प्रधान रहता है। वही संस्कार जिस मनुष्य के जीवन में प्रबल हैं उसे नर पशु कहा जाता है। रजोगुण - इस पशुता से जब जीव की कुछ प्रगति होती है तब उसका रजोगुण बढ़ता है। तब की अ...