याददाश्त में कमी आज का भाग दौड़ भरा जीवन में लाइफ़स्टाइल पूरा बदल के रह गया। जिसके वजह से याददाश्त कमजोर होने लगा है। हमारे खान पान भी इसे प्रभावित कर रहे हैं। यदि हम तला हुआ भोजन करते हैं तो यह भोजन हमारे तंत्रिकीय कोशिका को छतिग्रस्त करता है जिसके वजह से भूलने की बीमारी होता है। फास्ट फूड खाने से दिमाग निष्क्रिय हो जाता है, डोपामाइन नामक हार्मोन के उत्पादन में कमी होने लगता है और याददाश्त कमजोर होने लगता है। नशीले पदार्थों का सेवन हमारे निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है। अधिक नमक खाने से सोचने समझने की शक्ति को छती पहुंचता है। अधिक मीठा खाना भी दिमाग को सुस्त कर देता है। प्रोसैस्ड फूड खाने से तंत्रिका तंत्र के कार्य प्रणाली पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। तंबाकू या सिगरेट खाने या पीने से निकोटीन नामक पदार्थ हमारे दिमाग की क्षमता को कमजोर कर देता है। ट्रांस फैट के उपयोग करने से मोटापा और दिल की बीमारी होने लगता है, जिसके फल स्वरुप मस्तिष्क की कोशिकाएं सिकुड़ने लगता है और अल्जाइमर नामक बीमारी तार्किक क्षमता को कमजोर कर देता है। उम्र अधिक होने पर भी याददाश्त में कमी आने लगता है। दवाइयों का अत्यधिक सेवन करने से भी साइड इफेक्ट के रूप में याददाश्त कमजोर होने लगता है। यदि नींद की कमी हो जाए तब भी मनुष्य की याददाश्त कमजोर होने लग जाता है। यदि सिर में गहरी चोट आ जाए तो भी याददाश्त कमजोर हो जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि याददाश्त के कमजोर होने को ज्योतिष दृष्टिकोण से देखें तो पाते हैं कि जन्म कुंडली का तीसरा और पांचवा भाव से हम याददाश्त का विचार करते हैं। तीसरे भाव का स्वामी बुध और पांचवें भाव का स्वामी सूर्य साथ ही नैसर्गिक रूप से बुध और गुरु ग्रह कमजोर हो या पाप पीड़ित हो तो याददाश्त कमजोर होने लगता है। यदि जन्म कुंडली के तीसरे और पांचवें भाव का स्वामी 6, 8 ,12 वे भाव में गया हो और पापी ग्रह से पीड़ित हो तो याददाश्त कमजोर होता है। यदि बुध, गुरु और सूर्य 6, 8 ,12 वे भाव में हो पाप पीड़ित हो तब भी याददाश्त कमजोर होता है। बुध, गुरु और सूर्य केंद्र त्रिकोण में हो और उन पर 6, 8, 12वे भाव के स्वामी का प्रभाव यूति, दृष्टि या किसी और प्रकार से हो साथ ही पाप ग्रहों का भी प्रभाव हो तो भी याददाश्त कमजोर होता है। हस्तरेखा के अनुसार 1, शुक्र पर्वत पर तिल हो, शुक्र पर्वत पर कटी फटी देखा हो एवं यह पर्वत दबा हुआ हो तो याददाश्त कमजोर होता है। 2, जीवन रेखा अस्थिर हो अर्थात कहीं मोटा तो कहीं पतला, द्विप के चिन्ह हो, क्राश के चिन्ह हो, मंगल पर्वत से निकलकर रेखाएं काटती हो जीवन रेखा को और जीवन रेखा से कुछ रेखा निकलकर नीचे की ओर जा रहा हो तो याददाश्त कमजोर होता है। 3, निम्न मंगल से निकली मस्तिष्क रेखा हो, मस्तिष्क रेखा को कई रेखाएं काटती हो, हाथ में सिर्फ तीन ही रखा हो, अधूरी मस्तिष्क रेखा हो तब भी जातक का याददाश्त कमजोर होता है। उपाय आयुर्वेद के अनुसार सात दाने बदाम गिरी सायंकाल किसी कांच के बर्तन में जल में भिगो दें। प्रातः काल उनका लाल छिलका उतारकर बारीक पीस लें। यदि आंखें कमजोर हो तो साथ ही चार काली मिर्च पीस लें। इसे उबलते हुए 250 ग्राम दूध में मिलाएं। जब तीन उफान आ जाए तो नीचे उतारकर एक चम्मच देसी घी और दो चम्मच चीनी डालकर ठंडा करें। पीने लायक गर्म रह जाने पर इसे आवश्यकतानुसार 15 दिन से 40 दिन तक ले। भक्ति और शक्ति की कमजोरी दूर करने के लिए अति उत्तम होने के साथ वीर्य बलवर्धक है। विशेष -यह बादाम का दूध सर्दियों में विशेष लाभप्रद है। दिमाग की मेहनत करने वाले एवं विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी होता है। प्रातः खाली पेट इस दूध को लेने के बाद 2 घंटे तक कुछ ना खाए पिए। उपरोक्त बादाम का दूध तीन-चार दिन पीने से आधे सिर के दर्द में आराम होता है। बदाम को चंदन की तरह रगड़ने के समान बारिक तम कृष्णा या खूब चबाकर मलाई की तरफ को बल बनाकर सेवन करना आवश्यक है। इससे बदाम आसानी से हजम हो जाने पर पूरा लाभ मिलता है और कब बदाम से भी अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। स्वदेशी चिकित्सा सार अध्याय 1 पृष्ठ क्रमांक 1 । याददाश्त की कमजोरी को योग हस्त मुद्रा से भी सही किया जा सकता है। इसके लिए प्रतिदिन सुख आसन पद्मासन या वज्रासन में बैठकर दोनों हाथ को फैलाकर घुटने पर रख ले इस अवस्था में हाथ का खुला हुआ हिस्सा आसमान की ओर हो। अब अंगूठे के अग्रभाग से तर्जनी उंगली को मिला दे। यह क्रिया दोनों हाथों में करें। इसे करते समय रीढ़ की हड्डी सीधी हो और सामान्य रूप से प्राणायाम करते रहे। इस मुद्रा को ज्ञान मुद्रा कहते हैं।
अध्यात्मिक उपाय
अपने पूजन स्थल गुरु गद्दी या अपने इष्ट के समीप जहां आप ध्यान सुमिरन करते हैं । अपने याददाश्त की वृद्धि के लिए सत्पुरुष से प्रार्थना करें। फिर एक शंख ले उसे बजाए इसके पश्चात शंख में जल भर दे और गुरु गद्दी के समीप रख दें। दूसरे दिन पुनः गुरु गद्दी के सामने अपने इष्ट का ध्यान सुमिरन प्रार्थना कर शंख का जल किसी पात्र में इकट्ठा करने इसके बाद शंख को बजाएं। अब पुनः शंख में जल भर कर गुरु गद्दी के समीप रख दे। और जो शंख का जल इकट्ठा किए हैं उसे पी जाए। ध्यान रखें पीते समय सुखासन में बैठे हुए रहे। आपका चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो। इसके पश्चात अपने माता पिता, गुरुजनों का या घर के बड़े बुजुर्गों के चरण छू कर आशीर्वाद ले।
बेहतरीन जानकारी देता हुआ लेख है 🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹
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