स्त्री पुरुष और नपुंसक संज्ञक अंग
यदि कोई जातक आपके पास आकर कुछ प्रश्न पूछे उस वक्त आपके पास पंचाग ना हो या एक ही लग्न में कई लोग आपसे प्रश्न करें तो जातक शरीर के किस अंग को छूकर प्रश्न करता है, इस बात पर ध्यान दें। क्योंकि मानव शरीर के अंगों को स्त्री , पुरुष और नपुंसक अंगों के विभाग में बांटा गया है। जिसके आधार पर प्रश्न का उत्तर देना आसान हो जाता है।
पुरुष संज्ञक अंग —
— जांघ, होंठ , स्तन, अंडकोष, पैर , दांत, भुजा , हाथ, कपोल, बाल, गला , नाखून, अंगूठे , कनपटी, बगल, कंधे , कान, गुदा, सभी जोड़ यह सभी अंग पुरुष संज्ञक अंग होते हैं।
स्त्री संज्ञक अंग — भौंहें, नाक कूल्हे (पेट की आजू-बाजू), पेट की रेखाएं, कमर, हाथ की रेखाएं, उंगलियां, जीभ, पिंडलियां, एड़ी, नाभि, गर्दन का पिछला भाग यह सभी अंग स्त्री संज्ञक अंग होते हैं।
नपुंसक संज्ञक अंग–
— मुख, गले की हंसुली, घुटने, हड्डी , पार्श्व(कोख) ह्रदय, तालु, नेत्र, लिंग , छाती, कमर का पिछला हिस्सा, सिर, ललाट यह सभी अंग नपुंसक संज्ञक अंग कहलाते हैं।
यदि पुरुष संज्ञक अंग को छूकर प्रश्न करें तो उन्हें अपने प्रश्न की सिद्धि अर्थात आपको अपने कार्य में सफलता मिलेगा बोले।
यदि स्त्री संज्ञक अंगों को स्पर्श करते हुए प्रश्न पूछे , तो आपको अपने कार्य में सफलता थोड़ी देर से परिश्रम करने के पश्चात प्राप्त होगा बोले।
यदि नपुंसक संज्ञक अंगों को स्पर्श करते हुए प्रश्न पूछे तो आपको अपने कार्य में असफलता प्राप्त होगा बोले।
महर्षि पराशर जी ने नपुंसक अंग के स्पर्श करते हुए प्रश्न करें तो कार्यों में असफलता के साथ किसी प्रकार का अनर्थ भी हो सकता है।
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