सजल निर्जल राशियां
सजल निर्जल राशियों से वर्षा विचार जातक के अंगो का विचार एवं प्रश्न विचार में उपयोग किया जाता है।
सजल राशियां
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इसके अंतर्गत कर्क , वृश्चिक , मीन, मकर राशि आता है। अतः इन राशियों को सजल राशि कहते हैं। हमने पूर्व में ही अध्ययन किया है कि राशियों के स्थान और स्वरूप में कि यह कहां पाए जाते हैं और इनकी आकृति कैसा होता है। इन दोनों चीजों से पता चलता है यह सजल राशियां है। अर्थात उनके शरीर में जल की अधिकता होगा।
जलीय प्रदेश राशियां
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इसके अंतर्गत वृषभ राशि मिथुन राशि कन्या राशि कुंभ राशि आता है अतः इन राशियों को जलीय प्रदेश राशि कहते हैं।
इसके बारे में भी हमने राशियों के स्थान एवं आकृति में अध्ययन किया है।
शुष्क राशियां
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इसके अंतर्गत मेष राशि सिंह राशि तुला राशि और धनु राशि आता है। अतः इस राशियों को निर्जल या शुष्क राशियां कहते हैं।
इसके बारे में भी हमने अध्ययन राशि स्वरूप और राशियों के स्थान में अध्ययन किया है।
इस विषय को हम निम्न से समझ सकते हैं
जैसे कि आपके पास कर्क लग्न की कुंडली आता है। और इस कर्क लग्न की कुंडली का नवांश कुंडली में भी लग्न मान लीजिए सजल राशि ही है या जलीय प्रदेश राशि है । तो इस कुंडली वाला जातक का शरीर जलयुक्त अर्थात मोटा पाया जाता है।
यदि निर्जल राशि युक्त जन्म कुंडली आपके पास आता है और नवांश कुंडली में भी नवांश लग्न निर्जल राशि ही है तो ऐसा जातक पतला दुबला होता है।
कुछ बातें और भी ध्यान रखें , जैसे कि निर्जल राशि है नवांश में भी निर्जल राशि है लेकिन सजल ग्रह उन राशियों में स्थित हो तो जातक का शरीर अधिक मोटा ना अधिक पतला होगा। लेकिन यदि गुरु ग्रह दूषित होकर लग्न से संबंध बनाएं तो जातक बहुत अधिक मोटा होगा।
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