हर्निया मुद्रा

विधि
इस मुद्रा को सुखासन , वज्रसन या पद्मासन में बैठ जाए। खास को फैलाकर घुटने में रख लें। हथेली के खुले हुए भाग को आकाश की ओर रखें। तर्जनी अनामिका और अंगूठे के अग्रभाग को आपस में मिला दे। इस तरीके से बनने वाले मुद्रा को हर्निया मुद्रा कहते हैं।

समय
यह मुद्रा प्रतिदिन 45 मिनट करें या 15:15 मिनट के हिसाब से दिन में तीन बार करें। भोजन करने के तुरंत बाद इस मुद्रा को ना करें। और न ही इस मुद्रा को करने के बाद तुरंत भोजन करें।

लाभ
इस मुद्रा को करने से हर्निया संबंधी रोगों में, आंत के रोग में और कब्ज रोग में लाभ मिलता है।

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