चर स्थिर एवं द्विस्वभाव राशियां

चर राशि
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मेष, कर्क, तुला, और मकर राशि चर राशि कहलाती है।
चर राशि लग्न में हो तो जातक चंचल स्वभाव, अस्थिर (चंचल) विचार वाला, अपि च चर क्रिया प्रधान । अतः चर राशि लग्न में हो और चर राशियों में अधिक ग्रह हो अधिक हो तो मनुष्य शीघ्र कार्य करने वाला फुर्तीला त्वरित निर्णय लेने वाला होता है।

स्थिर राशियां
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वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि स्थिर राशियां कहलाता है।
स्थिर राशि लग्न में हो तो जातक स्थिर विचार वाले होते हैं साथ ही स्थिर राशि में अधिक ग्रह हो तो विचार शिलता की अधिकता , काम को लटकाए रखने में विश्वास करने वाला, अधिक सोच-विचार करना कम क्रिया करना यह विशेषताएं होता है। स्थिर राशि के जातकों में आलस का प्रभाव अधिक रहता है। यह अपने स्थान से आसानी से नहीं हटते।सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्थिर राशि वाले कोई भी कार्य जल्दबाजी में नहीं करते।

द्विस्वभाव राशि
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मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशीयों को द्विस्वभाव राशियां कहलाता है।
द्विस्वभाव राशि में जन्म लेने वाले जातक मिश्रित प्रवृत्ति के होते हैं। द्विस्वभाव राशियों में लग्न व अधिक ग्रह हो तो व्यक्ति ठिठक कर कार्य करने वाला देर से क्रोध करने वाला लेकिन शीघ्र प्रसन्न होने वाला, कन्फ्यूजन की स्थिति में रहने वाला होता है।

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