ग्रहों के तत्व - I
वैदिक ज्योतिष के अनुसार राशियों को पांच तत्व में बांटा गया है। अग्नि तत्व , वायु तत्व, जल तत्व , पृथ्वी तत्व और आकाश तत्व । मानव शरीर का निर्माण भी इन्हीं पांच तत्वों से हुआ है। जिस तत्व की प्रधानता होता है उसी तत्व के गुण जातक में विद्यमान होते हैं।
अग्नि तत्व
इस तत्व के अंतर्गत मेष राशि, सिंह राशि और धनु राशि आता है। अग्नि तत्व के जातक भावुक, गतिशील और मनमौजी प्रवृत्ति के होते हैं। इन्हें गुस्सा जल्दी आता है, लेकिन ये सरलता से माफ भी कर देते हैं। विशाल ऊर्जा के साथ साहसी होते हैं।शारीरिक रूप से बहुत मजबूत और दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत होते हैं। अग्नि राशि के जातक हमेशा कार्य करने के लिए तैयार, बुद्धिमान , स्वयं जागरूक, रचनात्मक और आदर्शवादी होते हैं। अग्नि तत्व में आवाज, स्पर्श के साथ आंखों से किसी आकार को देखने का गुण भी होता है। अग्नि का नैसर्गिक रूप होता है तेजस्विता, जो सामने आया उसे जलाकर भस्म कर देना, वायु प्रवाह की दिशा में निरंतर आगे बढ़ना, अर्थात अवरोधों को जलाते हुए अपने लिए रास्ता बनाना, ठीक इसी प्रकार अग्नि तत्व के जातक का गुण भी होता है। इस तत्व की प्रधानता वाले जातक मैं जिद्धी, महत्वकांक्षी, परिश्रमी , चित्त से उदार किंतु कठोर प्रकृति के होते हैं। अपने काम से काम रखने वाले ऐसे पुरुषों में स्वाभिमान बढ़ा चढ़ा होता है। इनमें बदला लेने या कुछ कर दिखाने की भावना अधिक होता है। अग्नि तत्व के जातक किसी के अधीन रहकर कार्य करना पसंद नहीं करते किंतु अधीन रहने की स्थिति में मालिक या अधिकारी को अपने कार्यों से प्रसन्न और संतुष्ट रखने में कामयाब होते हैं।
वायु तत्व
इसके अंतर्गत मिथुन राशि तुला राशि और कुंभ राशि आता है।वायु तत्व का नैसर्गिक लक्षण होता है अविराम गतिशील रहना, हर परिस्थिति में निरंतर बहते रहना, रिक्त स्थान को भरना, वातावरण के अनुरूप अपना रूप कम-ज्यादा कर लेना। वायु वायु तत्व शब्द या आवाज को हम तक पहुंचाने में ट्रांसपोर्ट का कार्य करता है। साथ ही इसमें स्पर्स के गुण भी इसी में है, जो कि हमारे शरीर की त्वचा को महसूस कराता है । इस तत्व के जातक प्राया ढुलमुल प्रवृत्ति के होते हैं। सामान्य शब्दों में जैसा देश वैसा भेष रखने में माहिर होते हैं। वातावरण और परिस्थिति के अनुरूप अपने आप को डाल लेने की गजब की छमता होता है। क्रोध नियंत्रित होता है दिल की जगह दिमाग से काम ले कर अपना काम चलाते हैं। सफलता के समीप बने रहना, सदा 2-4 काम एक साथ करना उनकी आदत होता है। जिसके कारण पूर्ण सफलता किसी में भी नहीं मिल पाता। कठिन परिस्थितियों से बुद्धिमानी पूर्ण ढंग से निजात पाते हैं। कठोर श्रम करना इनके बस की बात नहीं, किंतु बौद्धिक चातुर्यता से बड़े से बड़ा काम भी करने में सक्षम होते हैं। वायु तत्व राशि के लोग दूसरे के साथ संवाद करने और संबंध बनाने वाले होते हैं। मित्रवत् , बौद्धिक , मिलनसार , विचारक और विश्लेषणात्मक होते हैं। दार्शनिक विचार विमर्श सामाजिक समारोह और अच्छी पुस्तकों को पसंद करते हैं। सलाह देने में इन्हें आनंद आता है, लेकिन यह बहुत सतही भी हो सकते हैं।
जल तत्व
इसके अंतर्गत कर्क राशि, वृश्चिक राशि और मीन राशि आता है। जिस तरह जल तत्व का नैसर्गिक लक्षण होता है, उंचाई से निम्न की ओर प्रवाहित होना , जिस पात्र में रखा जाए उसी का आकार ग्रहण कर लेना, सदैव शीतल बने रहना, रोके जाने पर इसमें विकृति आना, आवेश या वेग में होने पर सब कुछ बहा ले जाना। जल तत्व में आवाज , स्पर्श आकार के साथ श्वाद भी है। जल मीठा है या खारा है, हमारा जीभ सभी प्रकार के स्वाद को पहचानती है। जल तत्व राशि के जातक असाधारण रूप से भावनात्मक और अति संवेदनशील लोग होते हैं। अत्यंत सहज होने के साथ ही समुद्र के समान रहस्यमई भी होते हैं। इनके याददाश्त तेज होती है, गहन वार्तालाप और अंतरंगता से प्यार करते हैं। खुले तौर पर अपनी आलोचना करते हैं। अपने प्रिय जनों का समर्थन करने के लिए हमेशा मौजूद रहते हैं। इस तत्व के जातक आलसी ठंडे स्वभाव और प्रभावहीन होते हैं। परिश्रम की बजाय आराम को ज्यादा महत्व देते हैं। कठिन परिस्थितियों से भागना , असफल होने पर कार्य छोड़ देना, रास्ता बदल लेना आदत में होता है। स्वाभिमान भी निम्न स्तर का होता है। अपने आप को एन केन प्रकारेण सुरक्षित सुविधा संपन्न बनाए रखने की कोशिश में लगे रहते हैं। यद्यपि करुणा, भावुकता, दया आदि की प्रचुरता होती है। मिलनसार होकर अपने काम निकलवाने के बाद किसी को भी भूल जाना इनकी आदत होती है। स्त्री वर्ग की ओर सदैव आकृष्ट रहते हैं।
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