स्नायु संस्थान nervous system की कमजोरी
बनारसी आंवले का मुरब्बा 1 नग अथवा 12 ग्राम (बच्चों के लिए आधी मात्रा) लें। प्रातः खाली पेट खूब चबाकर खाने और उसे 1 घंटे के बाद तब कुछ भी ना लेने से मस्तिष्क के ज्ञान तंतुओं को बल मिलता है और स्नायु संस्थान शक्तिशाली बनता है।
आंवला के मुरब्बे बनाने की विधि
500 ग्राम स्वक्ष हरे आंवला कद्दूकस करके उनका खुदा किसी कांच के बर्तन में डाल दें, और गुठली निकाल कर फेंक दे। अब इस गुदे पर इतना सहा डालें की गुदा शहद में भीग जाए। तत्पश्चात उस कांच के बर्तन को ढक्कन से ढक कर उसे 10 दिन तक रोजाना चार-पांच घंटे धूप में रखें। इस प्रकार प्राकृतिक तरीके से मुरब्बा बन जाएगा। बस 2 दिन बाद इसे खाने के काम में लाया जा सकता है।इस विधि से तैयार किया गया मुरब्बा स्वास्थ्य की दृष्टि से श्रेष्ठ है क्योंकि आग की बजाय सूर्य की किरणों द्वारा निर्मित होने के कारण इसके गुण धर्म नष्ट नहीं होते और शहद में रखने से इसकी शक्ति बहुत बढ़ जाता है।
सेवन विधि
प्रतिदिन प्रातः खाली पेट 10 ग्राम दो चम्मच भर मुरब्बा लगातार तीन चार सप्ताह तक नाश्ते के रूप में ले, विशेषकर गर्मियों में । चाहे तो इस के लेने के 15 मिनट बाद गुनगुना दूध भी पिया जा सकता है। चैत्र या कुमार मास में इसका सेवन करना विशेष लाभप्रद है।
विशेष
गर्मी के मौसम में इसका सेवन अधिक लाभकारी है इस मुरब्बे को यदि चांदी के वर्क में लपेटकर खाया जाए तो दा कमजोरी तथा चक्कर आने की शिकायत दूर होती है। वैसे भी आंवला का मुरब्बा शीतल और तर होता है और नेत्र के लिए हितकारी, रक्तशोधक, दाहशामक तथा हृदय मस्तिष्क, यकृत, आंतें , आमाशय को शक्ति प्रदान करने वाला होता है। इसके सेवन से स्मरण शक्ति तेज होती है। मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। मानसिक दुर्बलता के कारण चक्कर आने की शिकायत दूर होती है। सवेरे उठते ही सिर दर्द चालू हो जाता है और चक्कर भी आते हो , तो भी इससे लाभ होता है।आजकल शुद्ध चांदी के वर्क आसानी से नहीं मिलते अतः नकली चांदी के वर्क का इस्तेमाल ना करना ही अच्छा है।चाय बिस्कुट की जगह इसका नाश्ता लेने से ना केवल पेट ही साफ रहेगा बल्कि शारीरिक शक्ति स्फूर्ति एवं कांति में भी वृद्धि होगी। यदि इस मुरब्बे को गर्भवती स्त्री सेवन करें तो स्वयं भी स्वस्थ रहेगी और उसकी संतान भी स्वस्थ होगी। आंवले के मुरब्बे के सेवन से रंग भी निखरता है।
ऐसा मुरब्बा विद्यार्थियों और दिमाग का काम करने वालों की मस्तिष्क की शक्ति और कार्यक्षमता बढ़ाने और चिड़चिड़ापन दूर करने के लिए अमृत्तुल्य है। इसमें विटामिन "सी" , "ए" , कैल्शियम , लोहा का अनूठा संगम है। 100 ग्राम आंवले के गूदे में 720 मिलीग्राम विटामिन सी, 15 आईयू विटामिन ए, 50 ग्राम कैल्शियम , 1.2 ग्राम लोहा पाया जाता है।आंवला ही एक ऐसा फल है जिसे पकाने या सुखाने पर भी इसके विटामिन नष्ट नहीं होते।
स्वदेशी चिकित्सा सार अध्याय 1 पृष्ठ क्रमांक 2 -3 ।
Comments
Post a Comment