सतोगुण रजोगुण और तमोगुण

आप सभी को यह ज्ञात है , कि इस सृष्टि में तीन गुण की प्रधानता है। सतोगुण,  रजोगुण और तमोगुण । इन तीनों गुण से ही संसार के समस्त जड़ चेतन ओतप्रोत है। वैदिक ज्योतिष में भी ग्रहों को इन तीन भागों में बांटा गया है और ग्रह स्वामी के आधार पर राशियों को भी तीन भागों में बांटा गया है।
सूर्य , चंद्र और गुरु के राशि को अर्थात कर्क राशि, सिंह राशि , धनु राशि और मीन राशि को सतोगुण राशियां माना गया है।
शुक्र और मंगल की राशि को अर्थात मेष राशि , वृश्चिक राशि , वृषभ राशि और तुला राशि को रजोगुण राशियां माना जाता है।
बुध एवं शनि के राशि को अर्थात मिथुन राशि, कन्या राशि, मकर राशि और कुंभ राशि को तमोगुण राशियां माना जाता है।
सतोगुण
हम जानते हैं कि सूर्य चंद्र और गुरु के राशियों को सतोगुण राशियां माना जाता है। अर्थात इन राशियों में जन्म लेने वाले जातक में सतोगुण की प्रधानता होता है। तब उसकी अंतरात्मा में धर्म कर्तव्य और आत्म कल्याण की इच्छा उत्पन्न होता है। न्याय और अन्याय का , सत्य और असत्य का , कर्तव्य और अकर्तव्य का , ग्राह्य और त्याज्य का भेद स्पष्ट रूप से परिलक्षित होने लगता है। तत्वज्ञान, धर्म विवेक, दूरदर्शिता, सरलता, नम्रता और सज्जनता से उसकी दृष्टि भरा रहता है।दूसरों के साथ करुणा  दया, मैत्री, उदारता , स्नेह , आत्मीयता और सद्भावना का व्यवहार करता है। अपने लिए तुच्छ लाभ की कामना को छोड़कर जातक तप साधना स्वाध्याय सत्संग सेवा दान और इष्ट के शरण की ओर अग्रसर होता है। सात्विकता की वृद्धि होने से आत्मा में असाधारण शांति, संतोष प्रसन्नता, प्रफुल्लता  एवं आंनद रहता है। उसका प्रत्येक विचार और कार्य पुण्यमय होता है।जिससे पास के लोगों को भी ज्ञात और अज्ञात रूप से बड़ी शांति एवं प्रेरणा प्राप्त होता है।

रजोगुण
हमें ज्ञात है कि शुक्र और मंगल की राशि रजोगुण राशियां है। अर्थात इन राशियों में जन्म लेने वाले जातक उत्साह अधिक रहता है। फुर्ती,  चतुराई, चलाकी, होशियारी , खुदगर्जी,  दूसरों को उल्लू बना कर अपना मतलब गांठ लेने की योग्यता बहुत ज्यादा होता है। ऐसे लोग बातूनी , प्रभावशाली,  क्रियाशील , परिश्रमी , उद्योगी,  साहसी , आशावादी और विलासी होते हैं। इनकी इन्द्रियां बड़ी प्रबल होता है। स्वादिष्ट भोजन , बढ़िया ठाट- बाट, विषय - वासना की इच्छा सदैव मन में लगा रहता है। कई बार तो भोग और परिश्रम इतने मग्न हो जाते हैं कि अपना स्वास्थ्य भी बिगाड़ लेते हैं। यार बाजी,  गपशप,  खेल तमाशा , नृत्य- गायन, भोग -विलास , शान- शौकत  शबाशी, वाहवाही, बड़प्पन और धन - दौलत में रजोगुण लोगों का मन खूब लगता है।

तमोगुण
हम जानते हैं कि बुध और शनि के राशियों में जन्म लेने वाले जातक तमोगुणी होते हैं। तमोगुण प्रधान वाले जातक आलसी , अकर्मण्य, निराश और परमुखापेक्षी होते हैं। ऐसे जातक हर बात पर दूसरो की सहारा टटोलता है। अपने ऊपर और अपनी शक्तियों पर उसे विश्वास नहीं होता। आखिर दूसरे लोग किसी को पात्र को सहायता क्यों दें? जब उसे किसी और से सहायता नहीं मिलता तो जिद्दी और क्रोधी हो जाते हैं और दूसरों पर दोषारोपण करने लग जाते हैं। साथ ही लड़ने झगड़ने लग जाते हैं। लकवा मार जाने वाले रोगी की तरह उनकी शक्ति कुंठित हो जाता है। जड़ता और मुढ़ता में मनोवृति  जकड़ जाता है। शरीर भी स्थुल बल थोड़ा बहुत भले ही रहे पर प्राणशक्ति,  आत्मबल , शौर्य एवं तेज का नितांत अभाव रहता है। ऐसे व्यक्ति प्राया कायर,  क्रूर , आलसी और अहंकारी होते हैं। तब वह बूढ़ी जातक के आचरण, विचार आहार कार्य और उद्देश्य सभी मलिन होते हैं।

नोट 
जन्म के समय त्रिशांश कुंडली में सूर्य जिस राशि में हो उसी के अनुसार सतोगुण , रजोगुण और तमोगुण का विचार करना चाहिए।

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