ग्रहों का वर्ण ( रंग ) स्वरूप
सूर्य
जिस जातक के लग्न में सूर्य स्थित हो तो वह जातक लाल मिश्रित सावला होता है। अर्थात लग्न में उच्च के निकट जितना होगा उतना ही लाल रंग का अनुपात अधिक होगा और नीच के निकट होगा तो छाया पन लिए मिश्रित लाल रंग होगा। सूर्य का रंग लाल मिश्रित सावला है।
चंद्रमा
जिस जातक के लग्न में चंद्रमा होगा, वह जातक गौर वर्ण का होगा। अर्थात चंद्रमा रंग गोरा है।
मंगल
मंगल का रंग गोरा मिश्रित लाल है अर्थात रक्त गौर वर्ण यहां भी सूर्य के समान उच्च में गोरा व नीच में लाल सा समझे।
बुध
बुध का रंग हरी घास आम के पत्तों के सामान हरी चमक से युक्त सावला है।
बृहस्पति
बृहस्पति का रंग पीला गोरापन है।
शुक्र
शुक्र का रंग दूध के समान गोरा है।
शनि
शनि का रंग काला अधिक है यहां भी नीचभीमुखी होने से कालापन बढ़ेगा। अर्थात शनि नीच का हो तो अधिक गहरा काला रंग होगा, जबकि शनि उच्च की ओर हो तो कालापन कम होकर सांवलापन रंग होगा।
राहु
राहु का रंग गहरा नीला झलक वाला काला रंग है।
केतु
केतु का रंग चित्र विचित्र अर्थात बहुत से रंगों के मिश्रण से बनने वाला अलग सा ही रंग होता है।
नोट
जन्म समय में लग्न , नवांशेश, चंद्र , चंद्रनवाशेश व बलवान ग्रह के रंग से जातक का वर्ण निश्चित किया जाता है। रंग निश्चय में देश , काल एवं जाति का ध्यान अवश्य रखें।
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