स्वाति नक्षत्र के व्यवसाय
इस नक्षत्र का विस्तार तुला राशि में 6 अंश 40 कला से 20 अंश तक रहता है ।इस नक्षत्र में चार चरण होते है ।
प्रथम चरण अक्षर --"रू" ,
प्रथम चरण स्वामी ग्रह -- गुरु ।
द्वितीय चरण अक्षर -- " रे "
द्वितीय चरण स्वामी ग्रह -- शनि।
तृतीय चरण अक्षर -- "ते " ,
तृतीय चरण स्वामी ग्रह -- शनि।
चतुर्थ चरण अक्षर --" ता " ,
चतुर्थ चरण स्वामी ग्रह -- गु ।
स्वाति नक्षत्र राहु का नक्षत्र माना गया है और तुला राशि को बनिक राशि भी कहा गया है ।
तुला राशि का स्वामी ग्रह शुक है । इसलिए इस नक्षत्र के अन्तर्गत दुकानदार, व्यापारी आदि आते हैं ।
इसके अलावा कुश्ती लड़ने वाले पहलवान, हर तरह के खेल-कूद, श्वास नियंत्रण पर आदहरित विभिन्न कार्य, गाना, मुँह से बजने वाले वाद्य यंत्र बजाना, खोजी अन्वेषक, प्रोद्यौगिकी विशेषज्ञ, स्वावलंबी उद्यमी, सरकारी सेवा, विमान उद्योग, परिवहन सेवा, समाचार वाचक, मंच संचालक, कंप्यूटर व सोफ्टवेयर, शीघ्र निर्णय पर आधारित व्यवसाय, साफ-सफाई व संरक्षण के कार्य आदि इस नक्षत्र के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
पतंग बनाना व उड़ाना, गुब्बारे से उड़ना, आकाश में करतब दिखाना, शिक्षक, प्रशिक्षक, वकील, ज्योतिष, श्रमीक नेता, न्यायाधीश आदि कार्य इस नक्षत्र के अन्तर्गत माने गए हैं। मूल रुप से स्वाति नक्षत्र के देवता पवन देव हैं जिससे दबावयुक्त वायु पर आश्रित सभी यंत्र, उपकरण, गतिशीलता, प्रवाह, त्वरित बुद्धि और वायु भरे गुब्बारे या पैराशूट, ग्लाइडर आदि जैसे सभी कार्य स्वाति नक्षत्र के अधिकार में आते हैं।
पशु, पक्षी, घोड़े, वाहन, गैस पंक्चर लगाना, पैट्रोल व्यवसाय, तपस्वी, जंगली जानवरों को साधने का काम, कृषि, भण्डार करना, तेजी आने पर सामान बेचना, हवाई यात्रा, वातानुकूलन, यात्रा आदि भी स्वाति नक्षत्र के अन्तर्गत मानी गई है।
बेहतरीन जानकारी 🙏🙏 ज्योतिष विज्ञान की जानकारी के लिए हृदय से धन्यवाद
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