सफेद दाग के ज्योतिष कारण
यह बात हर आदमी के दिमाग़ में एक जिज्ञासा के रूप में पनप सकती है कि क्यों किसी की त्वचा अचानक सफेद होनी शुरू हो जाती है ? सामान्यत: त्वचा का रंग मेलोनोसाइट कोशिका एवं उससे बनने वाले मेलेनिन पर निर्भर करता है। इन दोनों के नष्ट होने पर त्वचा का प्रभावित हिस्सा सफेद हो जाता है। हमारी त्वचा की दो परते होती हैं बाहरी परत व भीतरी परत |भीतरी परत के नीचे के भाग मे मेलानोफोर नामक कोशिका मे एक तत्व “मेलानिन” होता हैं जिसका मुख्य कार्य हमारी त्वचा को प्राकतिक वर्ण अथवा रंग प्रदान करना होता हैं | जब यह तत्व किसी भी प्रकार से विकृत हो जाता हैं तब 'ल्यूकोडर्मा' नामक रोग हो जाता हैं जिसे आम बोलचाल की भाषा में सफ़ेद दाग यानी फुलेरी या फुलवहरी भी कहा जाता हैं| यह मेलानिन नाम के तत्व त्वचा के भीतर नीचे की सतह मे उत्पन्न होकर ऊपर की ओर आकर त्वचा को प्राकतिक रंग प्रदान करते हैं | त्वचा के जिन भागो मे इस तत्व की कमी या अभाव किसी भी वजह से होता हैं तो वह भाग बाहरी त्वचा मे सफ़ेद दाग के रूप मे दिखाई देने लगता हैं | आयुर्वेद मे इस रोग को अनुचित खान पान के कारण होने वाले रोगो की श्रेणी मे रखा गया हैं जिसके अनुसार कफ की अधिकता के कारण त्वचा की छोटी छोटी शिराओ मे अवरोध होने से मेलानिन तत्व उत्पन्न नहीं हो पाता हैं और धीरे-धीरे यह रोग जन्म ले लेता है। यह तो थे मेडिकल कारण परंतु ज्योतिषीय दृष्टि से देखने तथा इस रोग को भली प्रकार समझने हेतु हमें निम्न भावों व ग्रहों का अध्ययन करना चाहिए -
१. लग्न,षष्ठ व अष्टम भाव
२. सूर्य,चन्द्र , बुध ,मंगल,शुक्र व लग्नेश
लग्न भाव--हमारे शरीर को दर्शाता हैं हमारे शरीर मे होने वाले किसी भी प्रकार के विकार व बदलाव को हम लग्न पर पड़ने वाले प्रभाव से ही देखते हैं | आमतौर पर इसी लग्न से हम सामान्य भौतिक स्वास्थ्य को देखते हैं
षष्ठ भाव---- इस भाव से मुख्यत: किसी भी प्रकार के रोग हेतु इस भाव को अवश्य देखा जाता हैं इसी भाव से बीमारी की अवधि का भी पता चलता हैं, बीमारी छोटी होगी या बड़ी यह भी इसी भाव द्वारा जाना जाता हैं |
अष्टम भाव -- किसी बीमारी के दीर्घकालीन प्रभाव को बताता हैं तथा इसी भाव से बड़ी बीमारी का भी पता चलता हैं |
सूर्य ग्रह- सूर्य को लग्न का व आरोग्य का कारक माना जाता हैं इसी सूर्य से हम व्यक्ति विशेष का तेज व आत्मविश्वास भी देखते हैं इस बीमारी के होने से व्यक्ति आत्महीनता महसूस करने के कारण आत्मविश्वास खोने लगता हैं | सूर्य का किसी भी रूप मे पाप प्रभाव मे होना या अशुभ होना इस बीमारी का एक कारण हो सकता हैं |
चन्द्रमा -- चन्द्रमा मन का कारक होता है । साथ ही चन्द्र त्वचा का कारक है । चन्द्रमा का किसी भी प्रकार से पाप प्रभाव मे होना त्वचा से संबंधित परेशानी देता है ।
बुध ग्रह- यह ग्रह हमारी बाहरी अथवा ऊपरी त्वचा का कारक माना जाता हैं इसी ऊपरी त्वचा पर इस बीमारी के लक्षण अथवा सफ़ेद धब्बा आने पर बीमारी का पता चलता हैं | किसी भी प्रकार के बाहरी प्रभाव का पता भी इसी त्वचा कारक से चलता हैं इसलिए इस बीमारी मे इसका अशुभ होना अवश्यंभावी हैं |
लग्नेश - शरीर का प्रतिनिधित्व करता हैं इस ग्रह का किसी भी रूप से पीड़ित होना कोई भी बीमारी होने के लिए आवशयक हैं जब तक लग्नेश पीड़ित नहीं होगा शरीर मे बीमारी नहीं हो सकती |
मंगल – शरीर मे उन तत्वो का निर्माण करने मे सहायक होता हैं जो त्वचा को रंग प्रदान करते हैं। यही मंगल त्वचा मे किसी भी प्रकार के दाग-धब्बो का कारक भी होता हैं | खुजली खारिश किसी भी प्रकार के फोड़े फुंसी व संक्रमण को इसी मंगल गृह से देखा जाता हैं अत; इसका भी किसी ना किसी पाप या अशुभ प्रभाव मे होना ज़रूरी हैं |
शुक्र ग्रह- यह ग्रह त्वचा की सुंदरता,चमक व निखार का कारक हैं जिस जातक का शुक्र जितना अच्छा होता हैं उसकी त्वचा मे उतनी ही चमक होती हैं इस बीमारी के कारण त्वचा की चमक नहीं रहती जिससे यह ज्ञात होता हैं की शुक्र ग्रह को भी अशुभ या पाप प्रभावित होना चाहिए | अब यह देखना होगा कि यह रोग आख़िर खानपान की ग़लत आदतों के चलते कैसे हो जाता है -
1. विरोधी भोजन यानी दूध व मछली साथ-साथ लेने से।
2. शरीर के विशैले तत्व बाहर निकलने से रोकने पर जैसे- मल, मूत्र, पसीना आदि।
3. मिठाई, रबडी, दूध व दही का एक साथ सेवन करते रहने से।
4. अधिक गरिष्ठ भोजन जैसे उडद की दाल, मांस व मछली के ज्यादा प्रयोग से।
5. भोजन में खटाई, तेल मिर्च,गुड का सेवन ज्यादा करने से।
6. अधिक नमक का प्रयोग करते रहने से।
7. यह रोग कई बार वंशानुगत भी होता है ।
नोट -- त्वचा का रंग कई कारणो से सफ़ेद होता है अतः किसी भी प्रकार से त्वचा में सफेदी पाया जाता है तो सफ़ेद दाग़ से जोड़ कर न देखे । किसी चिकित्सक से परिक्षण करा ले । ज्योतिष दृष्टि कोन से जितना अधिक ग्रह पीड़ित होगे उतने अधिक सफ़ेद दाग़ होने के चास है , कम पीड़ित होने पर साधारण सफ़ेद दाग़ धब्बे होगे ।
घरेलू उपचार
1, रोजाना अदरक का जूस पीएं और अदरक के एक टुकड़े को खाली पेट चबाएं। साथ ही अदरक को पीसकर सफेद त्वचा पर लगाएं।
2, अखरोट सफेद दाग में काफी फायदेमंद है। अखरोट रोज खायें। यह सफेद पड़ चुकी त्वचा को काली करने में मदद करेगी।
3, नीम की पत्तियां और फल कई प्रकार के रोगों के लिए फलदायक है। नीम के पत्ती को पीसकर उसका पेस्ट बनाये और उसे दाग वाले जगह में एक महीने तक लगायें। साथ ही नीम के फल को रोज खायें और नीम के पत्तों का जूस पिएं। इससे खून साफ होगा और सफेद दाग के साथ त्वचा की सारे रोग खत्म हो जाएंगे।
4, ज्यादा से ज्यादा अपने खाने में बथुआ शामिल करें। रोज बथुआ उबाल कर उसके पानी से शरीर के सफेद दाग को धोयें। कच्चे बथुआ का रस दो कप निकाल कर, उसमें आधा कप तिल का तेल मिलाकर धीमी आंच पर पकायें। जब केवल तेल रह जाये तो उसे उतार ले। अब इसे रोज दाग में लगायें ।
योग से उपचार
1, पद्मासन, सुखासन या वज्रासन में बैठ जाएं। दोनों हाथों को फैला कर घुटने में रख ले , हथेली के खुले हुए भाग को आकाश की ओर रखें। कनिष्ठा उंगली के अग्रभाग को अंगूठे के अग्रभाग से मिला दे शेष उंगलियों को आपस में मिलाकर सीधी रखें। साथ ही रीड की हड्डी को भी सीधी रखें।
2, वज्रासन में बैठ जाएं दोनों हाथों को फैलाकर घुटनों पर रखें हाथ के खुले हुए भाग को आसमान की ओर रखें मध्यमा एवं अनामिका उंगली के अग्रभाग को अंगूठा के अग्रभाग से मिला दे शेष उंगलियों को सीधी रखें। साथ ही रीढ़ की हड्डी को भी सीधी रखें।
3, पद्मासन या सुखासन में बैठ जाए हाथ को फैलाकर घुटनों पर रखें हथेली के खुले हुए भाग को आसमान की ओर रखें तर्जनी उंगली के अग्रभाग को अंगूठे के अग्रभाग से मिला दे शेष उंगलियों को आपस में मिलाकर सीधी रखें। साथ ही रीढ़ की हड्डी को भी सीधी रखें।
उपरोक्त तीनों प्रकार के योगा को प्रतिदिन 30- 30 मिनट करें यदि एक बार में नहीं कर पाते हैं तो दिन में तीन बार में करें
Comments
Post a Comment