मूल नक्षत्र के व्यवसाय


इस  नक्षत्र का विस्तार धनु राशि में 0 अंश से लेकर 13 अंश 20 कला तक रहता है ।
इस नक्षत्र में चार चरण होते है ।
प्रथम चरण अक्षर - "य" ,
प्रथम चरण स्वामी ग्रह - मंगल ।
द्वितीय चरण अक्षर -- "ये "  ,
द्वितीय चरण स्वामी ग्रह -- शुक्र ।
तृतीय चरण अक्षर --" भा " ,
तृतीय चरण स्वामी ग्रह -- बुध ।
चतुर्थ चरण अक्षर -- " भी "
चतुर्थ चरण स्वामी ग्रह -- चन्द्रमा ।
मूल नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है । मूल नक्षत्र धनु राशि में आता है । जिसका स्वामी ग्रह बृहस्पति है ।
 इस नक्षत्र के अन्तर्गत निम्नलिखित व्यवसाय आते हैं :-
तंत्र विद्या जानने वाले तांत्रिक, झाड़-फूख करने वाले ओझा, काला जादू अथवा भूत-प्रेत सिद्ध करने वाले, वैद्य, औषधि निर्माता, विष चिकित्सक, दंत चिकित्सक आदि इस नक्षत्र के अन्तर्गत आते हैं. मंत्री, प्रवचनकर्त्ता, पुलिस अधिकारी, गुप्तचर व जाँच करने वाले, सैनिक, न्यायाधीश, अन्वेषण अथवा शोधकर्त्ता, जीवाणु अथवा गुण सूत्र पर अनुसंधान करने वाले, खगोल शास्त्री, व्यवसायी, नेता, गायक, वाद-विवाद अथवा परामर्श देने के काम करने वाले इस नक्षत्र के अधिकार क्षेत्र में आते हैं ।
वन औषधि अथवा जड़ी-बूटी के व्यापारी, कंद मूल के व्यापारी, अंग रक्षक, मल्लयुद्ध करने वाले, आत्मघाती दस्ते के सदस्य, राजनेता, गणितज्ञ, कंप्यूटर विशेषज्ञ, प्रदर्शन व विरोध रैली प्रबंधक, सोना निकालने वाले, गुप्त खजाने के खोजी, अश्व प्रशिक्षक, पशुओं को करतब सिखाने वाले, मनोचिकित्सक, ज्योतिषी आदि इस नक्षत्र के अन्तर्गत आते हैं । सदाचारी, धर्म परायण लोग, उत्खनन में लगे लोग, कोयला उद्योग, पैट्रोलियम उद्योग, किसी भी प्रकार की खोज या जाँच पड़ताल से संबंधित कार्य इस नक्षत्र के अधीन आते हैं।
विनाश तथा विध्वंस से जुड़े विभिन्न कामों का संबंध मूल नक्षत्र से माना गया है । कृषि, व्यापार,  युद्ध, लेखन, नृत्यकला, फल तथा फूलों का व्यवसाय, बीजों का व्यवसाय, धन व्यवसाय, ब्याज पर धन देने का व्यवसाय आदि भी इस नक्षत्र के अधिकार में आते हैं ।

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