प्रेम के लिए उत्तरदाई ग्रह-II
ज्योतिष के दृष्टि कोन से देखे तो प्रेम का उद्दाम तरंगो पर पहुँचाने में चन्द्रमा , शुक्र , मंगल , पंचमेश, सप्तमेश ग्रहों का पूर्ण योगदान होता है ।
शास्त्रों में चन्द्रमा को मन का कारक स्वीकार किया गया है । यह ग्रह प्रेमी हृदय में कोमल भावनाओं से ओत प्रोत आकर्षण एवं मनस् चाञ्चल्य को उत्पन्न करता है । चन्द्रमा का मन पर पूर्ण अधिकार होने के कारण इसे उससे सम्बंधीत मानसिक भावनाओं , प्रसंनताओं एवं उदासीनता का कारक भी स्वीकार किया गया है । ग्रहो में चन्द्रमा की गति सर्वाधीक होता है इसी कारण मन के गति को भी सार्वधीक माना गया है । कालपुरूष की कर्क राशि चतुर्थ भाव में पड़ता है और कर्क राशि चन्द्रमा के आधिपत्य में आता है । चतुर्थ भाव को हृदय का भाव भी कहा जाता है । अतः हृदय में उद्वेलित समस्त भावनात्मक तंरगों का सूत्रधार चन्द्रमा को माना जाता है ।
शुक्र को प्रेम का सम्पूर्ण कारक माना जाता है । पश्चात्य जगत में शुक्र को वीनस कहा जाता है । वीनस अर्थात प्रेम की देवी । आकाशमण्डलस्थ शुक्र पर यदि दृष्टि पाट करे तो यह ग्रह शुभ्र एवं उज्ज्वल दिखाई पड़ता है । जो कि अन्य ग्रहों से सुंदर और स्वच्छ प्रतीत होता है ।यही कारण है कि मानव हृदय में सुंदरता ,माधुर्य , एवं उत्कृष्ट कलात्मक भावनाओं का नेतृत्व शुक्र ग्रह करता है । इसलिए कलात्मक रुचियों यथा संगीत ,चित्रकला , अभिनय आदि में शुक्र का प्रतिनिधित्व निर्विवाद रूप से है । सौंदर्य पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में अधिक होती है ,अतः शुक्र को स्त्री ग्रह के रूप में प्रतिष्ठित किया या है ।सौंदर्य का प्रमुख उद्देश्य होता है किसी को अपने तरफ़ आकर्शीत करना । अतः जिन व्यक्तियों की कुण्डली में शुक्र बलवान होता है , उसमें दुसरो को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रमुख गुण होता है और यही आकर्षण कालांतर में प्रेम के रूप में परिवर्तित होता है ।
इसी क्रम में मंगल को भी सम्मिलित किया गया है , क्योंकि जब तक मन में स्थापित प्रेम को अभिव्यक्त नहीं किया जायेगा । वह प्रेम निष्फल ही कहा जायेगा । दो विपरीत प्रेमी हृदय में प्रेम का सुमन तो अंकुरित हो गया है , परंतु यदि वह दोनों ही उसे अभिव्यक्त न कर पाने के कारण पुष्पित एवं पल्लवित नहीं हो , तो प्रेम की महक नहीं फैल पायेगा ।इसलिए एक दूसरे को इजहार करने कि साहस भी होना आवश्यक है और यह साहस मंगल प्रदान करता है । अतः प्रेम की प्राप्ति में मंगल का बलि होना भी आवश्यक है ।
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