कुंडली मिलान करते समय अल्पायु योग विचार
अक्सर कुंडली मिलान करते समय पति का स्वभाव, दिशा , सास ससुर के बारे में, देवर देवरानी , जेठ जेठानी के बारे में , पति के घर परिवार को जानने के बाद एक ज्योतिष से लड़के के आयु के बारे में जरूर पूछते हैं। कि लड़का दीर्घायु है मध्यम आयु है की अल्पायु है।कहीं हमारी बेटी को बुरे दिन तो नहीं देखने पड़ेंगे ।हमें आयु का विचार करते समय हस्तरेखा में जीवन रेखा निम्न मंगल क्षेत्र के आसपास कटा तो नहीं है। या इस क्षेत्र में समाप्त तो नहीं हो गया है। साथ ही हृदय रेखा अनामिका उंगली के नीचे समाप्त नहीं हो गया है। यदि ऐसा है तो जातक की आयु अल्पायु होगा। साथ ही यह भी देख ले की कोई सहायक रेखा इस दोष को दूर तो नहीं कर रहा। अल्पायु योग 16 से 32 वर्ष को मानते हैं। अधिक से अधिक 40 वर्ष को अल्पायु योग माना जाता है। अब प्रश्न उठता है कि क्या अल्पायु की शादी कराई जाए। हमारे मत से यदि वर या वधू की आयु दीर्घायु या मध्यम आयु नहीं है तो ऐसी शादी किसी काम की नहीं।
हम यहां पर जन्म कुंडली मैं निर्मित अल्पायु योग के कुछ योग के बारे में भी लिख रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इतने ही योग होते हैं। परंतु सबको लिख पाना संभव नहीं है।
1,मुख्य रूप से वृष, तुला, मकर व कुंभ लग्न वाले जातक को यदि उनके जन्म कुंडली में शुभयोग ना हो तो अल्पायु माना जाता है।
2,यदि लग्नेश चर राशि अर्थात मेष, कर्क, तुला और मकर राशि में हो तथा द्विस्वभाव राशि अर्थात लग्नेश मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशि में हो तो जातक अल्पायु होता है।
3, यदि लग्नेश उपरोक्त राशि में 6 8 12 भाव में हो तो जातक अल्पायु होता है।
4, यदि लग्नेश व अष्टमेश दोनों ही नीच राशि में हो अस्त निर्बल हो तो अल्पायु योग होता है।
5, लग्न के द्वितीय और बारहवें भाव में पाप ग्रह हो, केंद्र में पाप ग्रह हो , लग्नेश निर्बल साथ ही उस पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि ना हो तो जातक अल्पायु होता है।
6, कुछ ग्रंथों में लग्नेश यदि सूर्य का शत्रु हो तो भी अल्पायु योग मानते हैं।
7, यदि लग्नेश एवं अष्टमेश दोनों ही स्थिर राशि में हो, शनि व चंद्रमा भी स्थिर राशि में हो, तो जातक को अल्पायु माना जाता है।
8,यदि लग्नेश और अष्टमेश मैं से एक चर राशि का और दूसरा द्विस्वभाव राशि का हो तो जातक अल्पायु होता है।
9,अष्टम भाव का स्वामी केंद्र में हो तथा लग्न का स्वामी निर्बल हो तो जातक को अल्पायु बनाता है।
10, यदि अष्टम भाव का स्वामी नीच राशि का हो और अष्टम भाव में पाप ग्रह हो साथ ही किसी भी शुभ ग्रह का प्रभाव ना हो एवं लग्नेश भी निर्बल हो तो जातक अल्पायु होता है।
11,यदि अष्टम भाव का स्वामी तथा अष्टम भाव दोनों ही पाप ग्रहों से युक्त हो, और द्वादश भाव भी यदि पाप ग्रह से युक्त हो तो जातक अल्पायु होता है।
जितने अधिक दूर योग कुंडली में बनेंगे उतने ज्यादा अल्पायु योग होने के अवसर बढ़ेंगे।
साथ ही यदि कुंडली मैं दीर्घायु के भी योग हो तो अल्पायु योग भंग हो जाता है।
नोट - ऐसे कुंडली मैंने अभी तक देखा नहीं है अतः इस बारे में मुझे अनुभव भी नहीं है। अतः अनुभवी गुरु जन हमारा मार्गदर्शन भी करें।
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