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Showing posts from March, 2021

आपका संतान क्या लेकर आया है

प्रत्येक दंपत्ति चाहता है कि उसका संतान प्रतिभाशाली हो, जीवन में सफल हो, इसके लिए जन्म कुंडली के विभिन्न पहलुओं का विचार किया जाता है। हम आज चर्चा करेंगे उसमें से एक सूत्र के ऊपर। आपका जन्म लग्न क्या है और आपका संतान कौन सा जन्म लग्न लेकर पैदा हुआ है। यदि आप का जन्म लग्न और संतान का जन्म लग्न समान है तो आपका संतान आपके गुण को लेकर पैदा हुआ है। यदि आपका जन्म लग्न वृषभ है परंतु आपके संतान का जन्म लग्न मिथुन है तो आपका संतान पैतृक संपत्ति की वृद्धि करेगा यदि आपका जन्म लग्न वृषभ है परंतु आपके संतान का जन्म लग्न कर्क है तो आपका संतान तृतीय भाव को लेकर पैदा हुआ है अतः आप का संतान आपके पराक्रम में वृद्धि करेगा। यदि आपका जन्म लग्न वृषभ है परंतु आपके संतान का जन्म लग्न सिंह है तो आपका संतान आपके  सुख में वृद्धि करेगा। यदि आपका जन्म लग्न वृषभ है परंतु आपके संतान का जन्म लग्न कन्या है तो आपका संतान विद्या बुद्धि ज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त करेगा। यदि आपका लग्न वृषभ है परंतु आपके संतान का जन्म लग्न तुला है तो आपका संतान छठे भाव को लेकर पैदा हुआ है अतः आप का संतान शत्रुओं का...

दशा -अंतर दशा फल

किसी भी व्यक्ति की ग्रहों के दशा-अंतर्दशा का फल संबंधी व्याख्या करते हुए फलदीपिका कार कहते हैं कि जिस ग्रह की दशा अंतर्दशा चल रहा हो वह ग्रह जिस भाव का स्वामी है उन भावों से संबंधित शुभ फल तभी प्राप्त होंगे जब भाव का स्वामी गोचर में स्वग्रही, उच्च, मित्र राशि और वक्री हो।  यदि दशा पति नीच राशिगत, शत्रु राशिगत, अस्त या फिर 6 ,8, 12 जैसे दुष्ट स्थानों में  स्थित हो तो ऐसे ग्रह की दशा में जातक को अरिष्ट फल प्राप्त होता है। यहां एक बात आप अवश्य ध्यान दें की दशा पति ग्रह यदि गोचर में  स्वग्रही, मित्र क्षेत्रीय, उच्च और वक्री होकर भी यदि पाप पीड़ित हो तो अनिष्ट फल देता है।