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Showing posts from April, 2021

धर्म और विज्ञान एक दूसरे के पूरक

धर्म और विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं। धर्म के अंदर रूढ़िवाद और अंधविश्वास का जन्म होने लगता है तो विज्ञान उसे अपने कसौटी पर कसता है। और विज्ञान जब नियंत्रण से बाहर हो जाए तो धर्म उसे मानवता का पाठ पढ़ा विध्वंसक कार्यों से रोकता है।  धर्म के अंधविश्वास से तो आप सभी परिचित हैं। विज्ञान के विध्वंसक कार्यों से भी आप परिचित ही हैं। इन दोनों विषय पर अब ज्यादा नहीं लिखूंगा। परंतु आपके सामने एक नई कहानी लेकर आया हूं साइंस फिक्शन के ऊपर। अभि इस पर खोज जारी है। और संभावना है भविष्य में इसका खोज हो जाए और मानव उपयोगी बन जाए। यह खोज एक ऐसे माइक्रोचिप की जिसको मस्तिक से जोड दिया जाए तो इसके बाद में बच्चे को पढ़ने की आवश्यकता नहीं है । किसी भी विशेष प्रकार की ज्ञान को अर्जित करने के लिए लंबे प्रक्रिया से गुजरना आवश्यकता नहीं है। हमको जो भी ज्ञान अर्जित करना है अपने जीवन में वह सारे ज्ञान इस माइक्रोचिप में  होंगे। और वह सारे अद्भुत विशेषता हमारे अंदर आ जाएगा। जैसे कि हम बचपन से किसी डाटा को संग्रहित करते रहते हैं और उसको अपने सुपर कंप्यूटर (मस्तिष्क) में अपलोड करते रहते हैं। ऐसा ही यह माइक्र...

द्वादशांश कुंडली से फल विचार

द्वादशांश कुंडली से माता-पिता का सुख का विचार किया जाता है । साथ ही उनकी आयु का भी विचार किया जाता है   यदि द्वादशांश कुंडली का स्वामी (द्वादशांशेश) जन्म लग्न मे हो, तो जातक माता-पिता के बराबर धनी-गुणी, मान-प्रतिष्ठा और द्रव्य वाला होता है। यदि द्वादशांशेश धन स्थान अर्थात द्वितीय स्थान मे हो, तो जातक पिता से अधिक धनी और गुणी होता है। यदि द्वादशांशेश तृतीय अर्थात पराक्रम स्थान मे हो, तो जातक पिता से अधिक यशस्वी होता है। यदि द्वादशांशेश चतुर्थ अर्थात सुख स्थान मे हो, तो जातक भाग्यशाली, सुखी होता है। यदि द्वादशांशेश पंचम अर्थात विद्या संतान स्थान मे हो, तो जातक बुद्धिमान, पिता को सुख देने वाला होता है।  यदि द्वादशांशेश षष्ठ अर्थात रोग-ऋण-रिपु स्थान मे हो, जातक अधिक शत्रु वाला, अल्प लाभी होता है। यदि द्वादशांशेश सप्तम अर्थात कलत्र स्थान मे हो, तो सुख, लाभ मिलता है। यदि द्वादशांशेश अष्टम अर्थात मारक स्थान मे हो, तो शस्त्र या शत्रु या विषैले जीव से या आत्महत्या से अपमृत्य होती है। यदि द्वादशांशेश नवम अर्थात भाग्य स्थान मे हो, तो जातक का पिता धार्मिक वृत्ति वाला, तीर्थसेवी ...