धर्म और विज्ञान एक दूसरे के पूरक
धर्म और विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं। धर्म के अंदर रूढ़िवाद और अंधविश्वास का जन्म होने लगता है तो विज्ञान उसे अपने कसौटी पर कसता है। और विज्ञान जब नियंत्रण से बाहर हो जाए तो धर्म उसे मानवता का पाठ पढ़ा विध्वंसक कार्यों से रोकता है।
धर्म के अंधविश्वास से तो आप सभी परिचित हैं। विज्ञान के विध्वंसक कार्यों से भी आप परिचित ही हैं। इन दोनों विषय पर अब ज्यादा नहीं लिखूंगा। परंतु आपके सामने एक नई कहानी लेकर आया हूं साइंस फिक्शन के ऊपर। अभि इस पर खोज जारी है। और संभावना है भविष्य में इसका खोज हो जाए और मानव उपयोगी बन जाए। यह खोज एक ऐसे माइक्रोचिप की जिसको मस्तिक से जोड दिया जाए तो इसके बाद में बच्चे को पढ़ने की आवश्यकता नहीं है । किसी भी विशेष प्रकार की ज्ञान को अर्जित करने के लिए लंबे प्रक्रिया से गुजरना आवश्यकता नहीं है। हमको जो भी ज्ञान अर्जित करना है अपने जीवन में वह सारे ज्ञान इस माइक्रोचिप में होंगे। और वह सारे अद्भुत विशेषता हमारे अंदर आ जाएगा। जैसे कि हम बचपन से किसी डाटा को संग्रहित करते रहते हैं और उसको अपने सुपर कंप्यूटर (मस्तिष्क) में अपलोड करते रहते हैं। ऐसा ही यह माइक्रोचिप हमारे चेतन और अवचेतन मन में सूचनाओं का आदान प्रदान करेगा। यहां तक तो सब कुछ सही है। यदि शासक वर्ग में सत्ता की नशा हो तो इसके दुष्परिणाम सामने आएंगे । जिसके फल स्वरुप लोगों में समानता नहीं आएगा। पूंजीपति, धनाढ्य और राजनेता विज्ञान के इस अनमोल खोज को अपने नियंत्रण में लेकर शासन करने के लिए उपयोग कर सकते हैं। ऐसे चिप बनवाया जाएगा जिसकी क्वालिटी भिन्न-भिन्न स्तर का होगा। धनाढ्य और राजनेता उच्च स्तर पर चिप का उपयोग करेंगे। जबकि आम जनता के लिए लो स्तर पर चिप बनाया जाएगा। परंतु यदि शासक वर्ग महामानव हुआ मानवता कूट कूट कर भरा हो उसके अंदर नेक धार्मिक इंसान हुआ तो एक स्तर का ही चिप बनवा आएगा और अपनी जनता को सारे सुख सुविधा मुहैया कराएगा । लिखना तो कुछ और चाहता था परंतु यह बात अचानक दिमाग में आ गया इसलिए इस विषय को भी इस लेख में उल्लेख करना दिया ।
सतनामी समाज में कंठी पहनने का चलन है। कंठी जो होता है वह तुलसी का होता है। तुलसी में अदभुत औषधि गुण होते हैं। जो कि अनेक प्रकार की बीमारियों को नष्ट करने में काम आता है। तुलसी वातावरण की अशुद्धियों को भी सुधार करता है। जैसे कि तुलसी का पौधा वतावरण में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है। तुलसी की सुगंध श्वास संबंधी कई रोगों से बचाती है। इसकी एक पत्ती रोज खाने से रोगप्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। जहां तुलसी का पौधा होता है वहां बैक्टीरिया और जीवाणु जिंदा नहीं रहते। इससे घर पर लगाने से वातावरण शुद्ध होता है। तुलसी में एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीमाइक्रोबियल व एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, सर्दी-जुकाम व श्वासनली से जुड़े रोग तुलसी की से ठीक होते हैं। हमारे पूर्वज इस बात से परिचित है कि तुलसी बहुत उपयोगी है। जो हमें कई बीमारियों से बचाता है। इसी वजह से धर्म और संस्कृति में कंठी पहनने पर जोर दिया गया। और कंठी को धर्म से जोड़ दिया गया। यह प्रकृति प्रदत्त ऐसा संसाधन है जो सभी मनुष्य को समान रूप से प्राप्त होता है। लेकिन एक बात का ख्याल रखें। जब तक आप की कंठी में खुशबू है तब तक थी उसे धारण करें उसके बाद फिर दूसरा कंठी पहन ले। ताकि उस में मौजूद औषधि गुण का आपको लाभ मिलता रहे।
अतः धर्म और विज्ञान को एक दूसरे के विरोधी के रूप में पेश ना करके एक दूसरे के पूरक समझा जाए तो यह मानव के लिए अत्यंत उपयोगी है।
✍️ एस्ट्रो राजेश्वर आदिले
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