आर्थिक विकास की ओर

दीपावली के शुभ अवसर पर समाज को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए कुछ सुझाव....
किसी भी समाज का राष्ट्रीय परिदृश्य में भूमिका क्या है इसको समझने के लिए समाज की देश के प्रति योगदान को देखा जाता है। इसके लिए बुद्धि और धन ऐसे दो महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो इंसान या किसी समाज के पास हो तो उसका ग्राफ राष्ट्रीय पटल पर चमकने लगता है। आज हम बात करते हैं धन की जो मनुष्य के लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है । यह हम सभी जानते हैं हमारी छोटी सी छोटी जरूरत और बड़े से बड़े सपने इसी से पूरा होते हैं। इसलिए करोड़पति बनने के सपने दिखने के लिए सबसे ज्यादा जोर बचत पर दिया जाता है। चाहे इंश्योरेंस कंपनी हो, हाउस लोन लेना हो, कार लोन लेना हो, बाइक लोन लेना हो , गोल्ड खरीदना हो, वृद्धावस्था के लिए प्लानिंग करना हो सभी चीजों के लिए बचत को प्राथमिकता दिया जाता है। बिजली बिल, राशन, गैस, कपड़े और हमारे मूलभूत आवश्यकता का पुरा होना हमारे वित्तीय स्थिति पर निर्भर करता है।हम जो अपना सामाजिक पोजीशन बनाना चाहते हैं, चाहे समाज के लिए कुछ कर गुजरना चाहते हो। राजनीति में जाना तो आसान है लेकिन जल्दी से सफलता प्राप्त करने के लिए बुद्धि के साथ आर्थिक रूप से मजबूत होना भी आवश्यक है तभी हम जिम्मेदारी युक्त पदों को संभालने के लिए पात्रता रखते हैं। यदि ऐसा नहीं हो पाता तो कोई मालदार व्यक्ति हमारे उस पद को आसानी से अपने पक्ष में मोड़ने के लिए अपना एफर्ट लगा लेता है और हमें उस पद से बेदखल भी कर देता है। वैसे तो पैसा ही सब कुछ नहीं है परंतु पैसा बहुत कुछ जरूर है। और इसी बहुत कुछ को अचीव करने की हमें आवश्यकता है। "यदि बुद्धि है और धन नहीं है तो समय का होना आवश्यक है।" खैर इस विषय में फिर कभी अपने विचार प्रस्तुत करूंगा। वैसे तो मैं भी धनी नहीं हूं परंतु उम्मीद करता हूं भविष्य में जरूर अपने सपने को अचीव कर लूंगा। लेकिन फिर भी समाज के लिए कुछ तो लिखना है और एक मैसेज देना है। तो चलिए बात करते हैं कैसे आर्थिक रूप से मजबूत हो।
 इसके लिए हमें कोशिश करना है कि हम अपनी आवश्यकताओं के बोझ तले ना दब जाए। जिसके फलस्वरूप खर्च को हि ना बढ़ाते रहें। बल्कि आमदनी को बढ़ाने का जतन करें। जैसे की हमने ऊपर चर्चा किया है गाड़ी,टेलीविजन ,सोना, घर जैसी चीजों पर इन्वेस्ट करते हैं तो हमारा इनकम नहीं बड़ता। बल्कि हमारे खर्चा बढ़ जाते हैं। लेकिन हम अपने सुख-सुविधा के साधन पर जोर ना देकर अपनी क्रय क्षमता को बढ़ाने पर जोर दें और अपनी छोटी-छोटी बचत को ऐसे जगह इन्वेस्ट करें जो हमारे आमदनी में वृद्धि करें तो निश्चित ही 15- 20 सालों में हम आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त कर लेंगे। हमारा समाज भी व्यापारिक घराना में गीना जायेगा। वैसे तो इस सपने को पूरा करने के लिए हमारे समाज के युवाओं को कुछ सुख-सुविधा के साधन का त्याग करना होगा कुछ समय के लिए साथ ही परख सकती विकसित करना होगा ताकि सही जगह इन्वेस्ट कर अपने इनकम को बढ़ाया जा सके। जिससे कि इनकम के एक से अधिक स्रोत पैदा हो सकें। जैसे कि आप मकान ही बनाते हैं तो मकान को इस प्रकार से निर्माण करें की अपनी जरूरत को पूरा करते हुए किराए के मकान भी निर्माण हो सके। बस इसमें इतना ही करना पड़ेगा की यदि आपने 3 डिसमिल का जमीन खरीदा है तो डेढ़ डिसमिल का जमीन में अपने लिए मकान बनाए और डेढ़ डिसमिल में किराए के लिए मकान बनाए। जिससे कि मकान से ही आपकी आमदनी में वृद्धि हो। ऐसे ही अपने पैसे को बुद्धिमता पूर्ण तरीके से निवेश करें कि प्रत्येक निवेश आपकी आमदनी में वृद्धि करें।
 आज समाज में बहुत से युवा है जो व्यापार की ओर अग्रसर हो रहे हैं। जो छोटी पूंजी से अपना शुरुआत करते हैं परंतु बड़ी इन्वेस्ट ना कर पाने के कारण व्यापार में उस स्तर तक आगे नहीं बढ़ पाते जहां वे पहुंचना चाहते हैं। यदि आपके आसपास ऐसे व्यापारी है जो कुछ कर गुजरने का दमखम रखते हैं और आपके पास पैसा है तो उन व्यापारियों के व्यापार में आप इन्वेस्ट करें और मुनाफे में लाभ कमाएं। यदि आपको किसी भी प्रकार का डर है साझेदारी में बिजनेस करने से तो आप दूसरा मार्ग भी अपना सकते हैं। जिस बिजनेस में आप इन्वेस्ट कर रहे हैं उस व्यापारी के साथ एक लिमिटेड कंपनी बना ले ताकि आपको आपके निवेश किए गए पैसे का शेयर के रूप में निश्चित लाभ होता रहे। और न ही वित्तीय रूप से अतिरिक्त आप पर बोझ पड़े। 
 कुछ परिवार ऐसे भी हैं जिनके पास अच्छी खासी धन है और उनके बच्चे व्यापार करना चाहते हैं परंतु उनके बच्चे बहुत बड़ा व्यापार करना चाहते हैं और अनुभव की कमी है तो ऐसे परिवार अपने बच्चों को छोटी पूंजी से शुरुआत करने के लिए प्रेरित करें जो भी काम करना चाहते हैं उसका को कम से कम इन्वेस्ट कर एक दो साल अपना समय लगाएं और उसकी बारीकी को सीखें और जब वह काम आपको समझ आ जाए और बड़ी इन्वेस्ट करने की आवश्यकता महसूस हो तो बड़ा इन्वेस्ट कर सफलता का झंडा लहराये। इससे माता-पिता भी अपने बच्चों पर भरोसा करने लगेंगे। साथ ही माता-पिता भी बिजनेस को समझने लगेंगे और अपनी जिंदगी भर की कमाई को लगाने से नहीं घबराएंगे । याद रहे कि हमारा समाज में व्यापारिक समाज नहीं है। इस कारण से संघर्ष तो करना ही होगा और तभी सफलता मिलेगा।
 सबसे महत्वपूर्ण बात हम जो भी काम करें उस काम को करने के लिए टीम भावना विकसित करें। यदि हम टीम भावना विकसित कर पाते हैं तो निश्चित ही हमें प्रगति से कोई नहीं रोक सकता। मैं समाज के बुद्धिजीवियों से अपेक्षा रखता हूं कि इन विषयों पर अधिक से अधिक लेख लिखकर समाज में प्रचारित करेंगे ताकि हमारा समाज आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बने। और जल्द से जल्द व्यापारिक घराना , औद्योगिक घराना में अपना नाम दर्ज कर सके। अपने, अपने समाज के साथ ही अपने देश का भी नाम रोशन कर सकेंगे।
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✍️ Raajeshwar Adiley

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