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Showing posts from January, 2023

सगाई का मुहूर्त निकालना

सगाई का शुभ मुहूर्त निकालते समय शुभ वार, शुभ तिथि, गुरु और शुक्र का उदय होना, सूर्य के उत्तरायण होना और शुभ योग को देखा जाता है। यह सब देखने के बाद वर और कन्या के लिए शुभ नक्षत्र को देखना चाहिए। वर शुभ नक्षत्र रोहिणी, तीनों उत्तरा, तीनों पूर्वा , कृतिका, मृगशिरा, हस्त, मूल, अनुराधा, मघा, स्वाति और रेवती नक्षत्र होता है । कन्या शुभ नक्षत्र उत्तराषाढ़ा, स्वाति, श्रवण, तीनों पुर्वा, अनुराधा, धनिष्ठा, कृतिका, मृगशिरा हस्त मूल, रोहिणी, तीनों उत्तरा, बाघा एवं रेवती नक्षत्र शुभ होते हैं। नोट वर और कन्या के नक्षत्रों में केवल उत्तराषाढ़ा श्रवण एवं धनिष्ठा नक्षत्र में वर का सगाई नहीं होता है। बाकी बताए गए सभी नक्षत्र वर और कन्या के लिए सामान्य है। 

व्यापार में वित्तीय स्थिरता के वास्तु कारण

     व्यवसाय में वित्तीय अस्थिरता तब होती है जब व्यवसाय की लागत और व्यय में वृद्धि जारी रहती है और व्यवसाय में आने वाले आय से पूरा नहीं किया जा सकता है। तब व्यवसाय को लंबे समय तक बनाए रखना मुश्किल हो जाता है क्योंकि व्यवसाय उन सेवाओं के लिए भुगतान करने में असमर्थ होता है जिन्हें उसे कार्य करने की आवश्यकता होती है। वित्तीय रूप से अस्थिर व्यवसाय की ओर ले जाने वाली सबसे आम समस्याएं निम्न है - 1, बिक्री में भारी गिरावट। 2, बिक्री से प्राप्त आय की तुलना में खर्च अधिक होना। 3, वर्तमान व्यापारिक फैसले असफल रहे हो। 4, नए अवसर तलाशने में कठिनाई। 5, अपर्याप्त या धीमी व्यापार वृद्धि और उत्पादकता। निम्न वास्तु क्षेत्रों में समस्या होने से उपरोक्त परिणाम मिलते हैं जैसे कि 1, नैऋत्य पश्चिम (SWW)  इस क्षेत्र में हरा रंग अधिक व्यय की ओर ले जाता है। 2, यदि एक शयनकक्ष पूर्व-अग्नि दिशा (ESE) क्षेत्र में हो तो व्यापार निर्णय लेने में भ्रम पैदा करता है।  3, उत्तर क्षेत्र में चूल्हे (अग्नि तत्व) के साथ पेंट्री (रसोई भंडार) नए व्यावसायिक अवसरों के प्रवाह को बाधित करती है। 4, दक्षिण-पश...