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Showing posts from February, 2024
46 या 64 मोबाइल नंबर
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46 या 64 नंबर शुक्र और राहु से मिलकर बना है। चार नंबर राहु का अंक है। जबकि 6 नंबर शुक्र का नंबर है। अतः इस नंबर में शुक्र और राहु के दुर्गुण आ जाते हैं। ऐसा नहीं है कि शुक्र राहु को मिलने से अशुभ प्रभाव ही मिलते हैं इनके यूति से सुप्रभाव भी प्राप्त होते हैं जैसे की शुक्र और राहु का स्वभाव एक जैसा है इसलिए दोनों की युति फायदा कराती है। शुक्र और राहु दोनों ही भौतिक सुख के कारक है। अतः इस युति के जातक भौतिक सुख प्राप्त करने के लिए आतुर रहते हैं और इसके लिए प्रयास भी करते हैं। शुक्र और राहु के साथ में आने से धन लाभ होता है और आर्थिक स्थिति सुधरती है। दोनों ग्रहों की युति से व्यक्ति को सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। दोनों ग्रहों का साथ में होना नौकरी और व्यापार के लिए उत्तम माना जाता है। दोनों एक कुंडली में साथ में होने से कष्ट कम होते हैं और सफलता मिलने लगती है। शुक्र राहु के अशुभ प्रभाव शुक्र राहु की युति हो तो इनको स्क्रीन से संबंधित समस्या आता है। इनका एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर पाया जाता है। इनके विवाह या तो बहुत जल्दी हो जाते हैं या तो फिर विवाह होने में बहुत विलंब होता है। इन वैवाह...
वर्गोत्तम
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यदि हम वैदिक ज्योतिष में किसी भी विषय का विचार कर रहे हैं तो इसके लिए हम लग्न कुंडली को देखते हैं। लग्न कुंडली जो कह रहा है वही बातें यदि नवमांश कुंडली से भी फलित हो रहा हो तो वह घटना होने के पूर्ण संभावना होता है। किसी भी कुंडली में कितने भी अच्छे राजयोग क्यों ना हो यदि लग्न बली नहीं है तो उसके फल हमें प्राप्त नहीं हो पाते हैं । या फिर मिलते भी है तो उसे मात्रा में नहीं मिलते जितना अच्छा मिलना चाहिए। इसी कारण से लग्न के बलाबल को भी देखने के लिए वर्गोत्तम नवमांश है कि नहीं इसका विचार जरूर करना चाहिए। वैसे तो इसके लिए और भी कई चीजों को देखा जाता है लेकिन आज हम वर्गोत्तम लग्न पर विचार कर रहे हैं। लग्न कुंडली में प्रत्येक भाव का विस्तार क्षेत्र 30 डिग्री का होता है। और इस 30 डिग्री को हम 9 हिस्से में बांटते हैं। तो 3 डिग्री 20 कला प्राप्त है। ज्योतिष शास्त्र में लग्न से जहां हम स्वयं का विचार करते हैं वहीं पर नवम भाव से हम अपने भाग्य का भी विचार करते हैं। जब हम किसी भी भाव को 9 भाग में डिवाइड करते हैं तो हम उस भाव के भाग्य का ही विचार करते हैं। इसी को क...