विवाह - iv


वक्त का पहिया बहुत तेजी से घूमता है। आज भी हमें याद है जब हम अपनी पढ़ाई पूरी कर कॉलेज से निकले तो कैरियर बनाने की चिंता रहता था। उस समय प्राय सभी युवा कैरियर पर ही फोकस करते थे। विवाह सेकेंडरी इच्छा होता था। अर्थात कहने का मतलब यह है कि पहले कैरियर बनाना ले फीर विवाह करेंगे।
 हमारे सहपाठी लड़कियों का कैरियर के प्रति कुछ विशेष चाह नहीं था। माता-पिता भी यदि योग्य रिश्ते आते थे तो बेटियों का विवाह के लिए राजी हो जाते थे। उस समय भी योग्य रिश्ते देखे जाते थे। दमाद सर्विस में हो या अच्छा कामता हो यह आवश्यक था। माता-पिता बेटियों को सर्विस करने के विशेष पक्षधर नहीं थे।
  धीरे-धीरे समय बदलने लगा और आज के दौर में महिलाएं बहुत जागरूक हो गई है। वे भी अपना कैरियर बनाना चाहती हैं। जीवन में कुछ विशेष कर गुजारना चाहती हैं। इसके लिए विवाह करने की इच्छा को भी त्याग देती है। ऐसे बहुत से लोगों से मिलता हूं जहां पिता तो चाहता है की बेटी का विवाह हो जाए। परंतु माता और बेटी चाहती है कि बेटी अपना कैरियर बना ले। इसके बाद विवाह  बंधन में बंधे। इस सोच ने विवाह योग्य कन्याओं का उम्र बढ़ा दिया है।
 जैसे लड़के करियर के लिए मारे मारे  फिरते रहते हैं और विवाह नहीं करते हैं। अब ऐसी ही परिस्थितियों कन्याओं के साथ भी निर्मित होने लगा है। क्योंकि वह भी अपने कैरियर बनाने के लिए विवाह करना नहीं चाहती हैं । आने वाले समय में देरी से विवाह होने की समस्या और भी विकराल रूप धारण करेगा । क्योंकि आज भी ऐसे बहुत से परिवार है जहां माता-पिता के इच्छा को ही सर्व परि मानकर बहुत सी लड़कियों का विवाह हो जाता है। धीरे-धीरे वे सभी कैरियर बनाने को प्राथमिकता देगी। 
वैसे देखा जाए तो यह सोच अच्छा है कैरियर निर्माण के लिए प्रत्येक व्यक्ति को तत्पर रहना चाहिए। चाहे लड़का हो या लड़की हर किसी को अपने लाइफ में अपने पैरों पर खड़े होने का अधिकार है। अपने जीवन में नाम, शोहरत, पद, प्रतिष्ठा पाने का अधिकार है। और इसे पाने के लिए कर्तव्य का पालन भी करना आवश्यक है। और निश्चित आने वाले समय में लड़के और लड़कियां अपने कर्तव्यों का निर्वाह करेंगी।
  लेकिन सिर्फ कैरियर निर्माण में सरकारी नौकरी को ही ज्यादा महत्व न दें। बल्कि समय रहते यह समझे की व्यापार, उद्योग के माध्यम से भी कैरियर बनाया जा सकता है। इसके साथ ही सही उम्र में विवाह करना भी आवश्यक है। क्योंकि एक बार उम्र निकल जाने के बाद सिर्फ समझौता करना रह जाता है। अतः युवा लड़के एवं लड़कियां समझदारी का परिचय दें। साथ ही माता-पिता भी समझदारी से काम ले। और सही उम्र में अपने बच्चों का विवाह कर दे।
 हमारे जैसे विचारक सिर्फ अपना विचार लिख सकते हैं अंतिम निर्णय तो माता-पिता एवं विवाह योग्य युवक युवती  को ही लेना है।
✍️ Raajeshwar Adiley
22:27pm
13/3/24

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