पुनर्वसु नक्षत्र के व्यवसाय


इस  नक्षत्र का विस्तार मिथुन राशि में 20 अंश से कर्क राशि में 3 अंश20 कला तक रहता है । इस नक्षत्र में चार चरण होते है ।
प्रथम चरण अक्षर - " के " ,
प्रथम चरण स्वामी ग्रह मंगल ।
द्वितीय चरण अक्षर - " को " ,
द्वितीय चरण स्वामी ग्रह शुक्र ।
तृतीय चरण अक्षर -" हा " ,
तृतीय चरण स्वामी ग्रह बुध ।
चतुर्थ चरण अक्षर - " ही " ,
चतुर्थ चरण स्वामी ग्रह चन्द्रमा ।

पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी ग्रह गुरू है। इस नक्षत्र के प्रथम तीन चरण मिथुन राशि में चतुर्थ चरण कर्क राशि में आता है ।मिथुन राशि का स्वामी बुध है , कर्क राशि का स्वामी चन्द्रमा है ।
होटल, रेस्तरां व्यवसाय, पर्यटन व्यवसाय, अंतरिक्षयान सेवा, परिवहन सेवा मे कार्यरत कर्मचारी, आदि पुनर्वसु नक्षत्र में आने वाली सेवायें है ।
सिनेमा, रेडियो तथा दूरदर्शन के कलाकर, उपग्रह संचार प्रणाली, कूरियर तथा डाक सेवा प्रणाली आदि सभी प्रकार की संचार प्रणालियाँ भी पुनर्वसु नक्षत्र के अंतर्गत आती हैं. अध्यापन तथा हर तरह का प्रशिक्षंण देने का कार्य आदि पुनर्वसु नक्षत्र के अंतर्गत आते हैं।
हर प्रकार के प्रबंधन कार्य जैसे मंदिर प्रबंधन, घर-होटल-छात्रावास-धर्मशाला आदि की रख-रखाव सेवायें, गूढ़ ज्ञान व विद्या, विभिन्न प्रकार के साहित्य रचेयता जैसे ज्योतिष साहित्य, पुरानी और दुर्लभ वस्तुओं का व्यवसाय करने वाले सभी इस नक्षत्र के अधिकार में आते हैं।
दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, नर्स , डाक्टर , मठाधीश धर्म गुरू, पुरोहित, व्यक्तित्व निखार कार्यक्रम, हाथ के कारीगर जो हाथ से बनी चीजों का व्यवसाय करते हैं, आधुनिक समय में ब्यूटी पार्लर या मेक ओवर करने वाले व्यक्तियों का व्यवसाय,  आज के युग में सभी प्रकार के प्लेसमेन्ट आफिस पुनर्वसु नक्षत्र के अंतर्गत आते हैं ।
गिफ़्ट आइटम बनाने वाले व्यवसायी, सभी प्रकार के व्यापारी वर्ग,  चित्रकार जो अपनी कला से आजीविका कमाते है, सभी प्रकार के डिजाइनर आदि पुनर्वसु नक्षत्र में आते हैं । पुरानी व बेकार वस्तुओं से नई चीजों का निर्माण करने का व्यवसाय जैसे अखबार, काँच व प्लास्टिक की वस्तुओं आदि का  करना आदि पुनर्वसु नक्षत्र के अधिकार क्षेत्र में आते हैं ।

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