कवि या लेखक योग
कविता लिखना अथवा लेखन कला एक रूचि भी है और एक व्यवसाय के रूप में भी इसे अपनाया जा सकता है। इस कला के लिए किसी विशेष शिक्षा की आवश्यकता नहीं होती है वर्णन जन्म कालिन ग्रह स्थिति इसके लिए उत्तरदाई है।
शुक्र कवि हृदय ग्रह है ।
बुध बुद्धि विवेक एवं प्रतिभा का तथा गुरु ज्ञान का कारक है ।
चंद्रमा भावनाओं संवेदनाओं का परिचायक है।
मंगल साहस का कारक है ।
द्वितीय , पंचम भाव वाणी एवं विद्या से संबंधित भाव है।
तृतीय भाव लेखन कला का भाव है।
नवम भाव कीर्ति का तथा तृतीय भाव का पूरक भाव है।
अतः कविता लेखन तथा लेखन कला के लिए द्वितीय, पंचम, नवम भाव इन भावों के स्वामी , शुक्र,मंगल, बुध व चंद्रमा का परस्पर तथा द्वितीय ,पंचम व नवम भाव इनके स्वामियों से संबंध होना आवश्यक है।
दशम भाव का बली होना उक्त कला का व्यवसाय का रूप देता है।
कविता लेखन तथा लेखन कला से संबंधित योग
बुध के साथ शुक्र या सूर्य लग्न या केंद्र में हो।
चंद्रमा की राशि में स्थित शुक्र पर बुध की दृष्टि हो।
बली बुध की युति शुक्र के साथ द्वितीय, पंचम या दशम में हो।
बुध की राशि में स्थित मंगल पर गुरु की दृष्टि हो।
सूर्य व चंद्रमा की युति दीप्ती पंचम या दशम भाव में हो।
शुक्र की राशि में स्थित मंगल पर शनि की दृष्टि हो।
बली बुध या गुरु दशम भाव में हो।
पंचम या नवम में चंद्र या गुरु हो।
चंद्रमा के साथ शुक्र या बुध हो।
चंद्रमा बुध तथा शुक्र की युति हो तथा गुरु की इन पर दृष्टि हो।
चंद्रमा गुरु और शुक्र परस्पर त्रिकोण में हो।
बली शुक्र केंद्र या त्रिकोण में हो तथा शुक्र से केंद्र में चंद्रमा हो ।
स्त्री जातक दर्पण से ।
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