ग्रहों की अवस्थाएं
वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहों के अवस्थाओं को मुख्य रूप से 10 भागों में बांटा गया है जोकि निम्न है।
दीप्त
जब कोई ग्रह अपने सर्वोच्च, मूलत्रिकोण में हो तो प्रदीप्त या दीप्तावस्था वाला ग्रह कहलाता है।
स्वास्थ्य
जब कोई ग्रह जन्म कुंडली में स्व क्षेत्री हो तो स्वस्थ कहलाता है।
मुदित
जब कोई ग्रह जन्म कुंडली में अपने मित्र क्षेत्री हो तो मुदितावस्था कहलाता है।
शांत
जब कोई ग्रह जन्म कुंडली में शुभ ग्रहों के वर्ग में हो तो शांंतावस्था कल आता है।
शक्त
जब कोई ग्रह जन्म कुंडली में अधिक रश्मियों वाला सूर्य से दूर हो तो सख्त कहलाता है।
पीड़ित
जब ग्रह ग्रह युद्ध में पराजित हो तो पीड़ितावस्था कहलाता है।
दीन
जन्म कुंडली में जब कोई ग्रह शत्रु राशि नवांश में हो तो दीनावस्था कहलाता है।
कल
जब कोई ग्रह जन्म कुंडली में पाप वर्गों में हो तो खलावस्था कहलाता है।
भीत
जब कोई ग्रह जन्म कुंडली में नीच राशि गत हो तो भीतावस्था कहलाता है।
विकल
जब कोई ग्रह जन्म कुंडली में अस्त गत हो तो विकलावस्था कहलाता है।
नोट
सरावली में दीन या दुखी अवस्था ( शत्रु राशि नवांश गत) नहीं कहा गया है।
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