राहु


राहु एक मायावी ग्रह है। राहु भ्रम भी है , राहु धोखा , छल कपट भी कराता है। राहु उच्च कोटि का राजनीतिज्ञ भी है। राहु रिसर्च भी कराता है । राहु गुप्त विद्या भी देता है । राहु कन्या राशि में स्वग्रही है, तो मिथुन राशि में उच्च का है। राहु जिस ग्रह के साथ बैठता है उसके समान फल देता है । जिस भाव में बैठता है उस भाव का भी फल देता है। और उस भाव के स्वामी का भी फल देता है। राहु की कोई दृष्टि नहीं है। लेकिन जिस भाव में बैठा है उस भाव के स्वामी के दृष्टि को भी अपना लेता है। जिस ग्रह के साथ यूती कर रहा है उस ग्रह के भी दृष्टि को अपना लेता है। साथ ही यदि मान लीजिए राहु तुला राशि में है जिसका स्वामी शुक्र है शुक्र की दूसरी राशि वृषभ राशि है और वृषभ राशि में गुरु बैठा हुआ है। तो राहु यहां गुरु का भी फल देगा । अर्थात राहु यहां धर्मात्मा हो जाएगा ज्ञान की बात बोलेगा और सत्य के मार्ग पर चलेगा। और गुरु की दृष्टि को भी अपना लेगा। राहु यदि केंद्र त्रिकोण के स्वामी के साथ हुआ तो योगकारक ग्रह भी  हो जाता है। राहु जिस भाव में है और उस भाव का स्वामी यदि बली है और शुभ ग्रह है तो अत्यंत ही उत्तम फल देगा। यदि राहु 6 8 12 भाव के स्वामी के साथ बैठा है तो षष्ठेश के साथ होने से रोग और कर्ज प्रदान करेगा। अष्टमेश के साथ होने से गुप्त ज्ञान (ज्योतिष तंत्र मंत्र जैसे विषयों के बारे में) भी देगा साथ ही अचानक कोई दुर्घटना भी हो सकता है। द्वादश इसके साथ होने पर हॉस्पिटल में भर्ती जेल यात्रा या विदेश यात्रा भी करा देता है।

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