खाली पेट पानी पीना

Pankaj Kumar‎ -लेखक 

सुबह सुबह खाली पेट पानी पीते हैं तो यह पोस्ट जरुर पढ़ें
कुछ दिनों पहले मेरे एक मित्र से बात हुई , झिझकते हुए उन्होंने बताया की पिछले कुछ दिनों से इरेक्शन बहुत कम हो गया है, अपनी समझ से कुछ दवाएं चूर्ण आदि लिए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है ,
मेरी आदत है एक एक चीज डिटेल के साथ पूछने की , उन्होंने काफी कुछ बताया भी लेकिन कोई सूत्र हाथ नहीं लगा की कारण क्या है फिर उनसे सुबह से लेकर रात्रिपर्यंत तक की सब गतिविधियाँ पूछी तो पता लगा उन्होंने गर्मियों के मौसम से कब्ज की समस्या के लिए सुबह सुबह पेट भर कर पानी पीना शुरू किया है , इसे शास्त्रों में उषापान के नाम से जाना जाता है,
वो लखनऊ में जॉब करते हैं और कानपुर से लखनऊ प्रतिदिन लोकल ट्रेन से अप डाउन करना होता है, लगभग दो घंटे का समय पहुचने में लगता है, गर्मियों में सब ठीक था लेकिन बारिश में हुआ यह की ठन्डे मौसम में पेशाब का फ्लो बढ़ गया, यह स्वाभाविक भी है.
लेकिन समस्या यह हुई की उस लोकल ट्रेन में कोई शौचालय नहीं होता और उनको लखनऊ तक पेशाब को रोके रहना होता था. पेशाब रोकने का परिणाम यह हुआ की उनकी किडनी , यूरिनरी ब्लैडर , लिंग आदि की नसे मासपेशियाँ सब कमजोर हो गयी, ब्लैडर का आकार ज्यादा बढ़ गया. मूत्र की धार कमजोर और बार बार आने लगा. सेक्स लाइफ तो खैर तबाह ही हो गयी है. और इन सबका असर यह हुआ की पूरा जीवन अस्त व्यस्त हो गया है.
इस वाकये को आप सबके सामने रखने का मकसद यह बताना है की कहीं से कुछ भी पढ़कर उसे अपने ऊपर apply करने के पहले कुछ सोचना विचारना आवश्यक है ,
जब उषापान के बारे में ऋषियों ने बताया उस समय 10 से 5 की जॉब नहीं होती थी , न ही लोग चाय कॉफ़ी नमक preservative चीनी आदि का सेवन भरपूर मात्र में करते थे ,
याद रखें उषापान करने वाले के लिए चाय जहर के समान है यह मूत्रल होने के कारण पेशाब ज्यादा बनाती है पेट में पहले से ही पानी भरा हुआ है और आपने चाय ऊपर से पी ली मूत्र दुगुना आएगा ही, और यदि नाश्ते में खूब नमकीन कचौड़ी पकौड़ी खायी तो मूत्र कम हो जायेगा. दोनों ही परिस्थतियाँ मूत्रोत्सर्जन तंत्र की स्वाभाविक कार्यप्रणाली को बाधित करती हैं.
उषापान तभी करें जब आपको समय पर मूत्रत्याग की सुविधा हो यह न सोचे की 15-20 मिनट पेशाब रोक सकते हैं , पेशाब रोकने वाले को erection की समस्या होकर रहेगी यह पत्थर पर खिंची लकीर है , इतना समझ लें.
उषापान अपने आप में एक चिकित्सा पद्धति की तरह समझे बड़े गंभीर रोग इसके द्वारा ठीक हो जाते देखे गए हैं लेकिन इसके अपने नियम ,कायदे , परहेज हैं , सबेरे सबेरे उठकर भरपेट पानी पी लेना ही उषापान नहीं है.

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