सामाजिक रूढ़िवाद को तोड़ती हुई महिलाएं

आज के समय में महिलाओं के जीवन में सामाजिक रुप से बहुत बदलाव आया है। इससे महिला सशक्त हुई है। अपने आप को पहचानने लगी है, अपना पहचान बनाना चाहती है , अपने वजूद को ढूंढती है , अपना सम्मान बरकरार रखना चाहती हैं। यह बदलाव अच्छा भी है । क्योंकि स्त्री और पुरुष दोनों ही समाज के अभिन्न अंग है। दोनों को मिलकर ही चलना है। तभी निष्पक्ष एवं सशक्त समाज बनाया जा सकता है । जिससे किसी भी प्रकार का भेदभाव ना रहे । जिसके  कारण सामाजिक व्यवस्था में टूटने लगा है।लेकिन समाजिक व्यवस्था टुटने का कोई एक निश्चित कारण तो नहीं दिया जा सकता । इनका समाजशास्त्री अनेक कारण है । 
जैसे 
१, शिक्षा ।
२, मनुष्य की स्वभाविक प्रवृती पुराने नियम में बदलाव ।
३, आधुनिकी करण ।
४, पश्चात्य संस्कृती के प्रति आकर्षण ।
५, काम करने के लिए घर से बाहर निकलना ।
६, शिक्षा प्राप्त करने के लिए घर से बाहर निकलना ।
७, घर से बाहर दोस्ताना माहोल मिलना ।
८, घुघट प्रथा को बंधन मानना और बदलाव के लिए छटपटाता मन ।
९ फैसन का प्रभाव ।
१० , और भी अनेक समाज शास्त्री कारण हो सकते है ।

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