मृतवत्सा योग
पंचमेश षष्ठ भाव में गुरू व सूर्य से युक्त हो तो जातक की पत्नी का गर्भ गिरता रहता है। अथवा मृत संतान पैदा होती है। अत: इसे मृतवत्सा योग कहते है।
पंचमेश संतान भाव का स्वामी होता है , इससे संतान का विचार करते है । काल पुरूष की कुण्डली में पंचम भाव में सिंह राशि आता है इसका स्वामी सूर्य हैं । अतः सूर्य काल पुरूष कुण्डली के पंचम भाव का नैसर्गिक कारक , सूर्य आत्मा है । गुरू पंचम भाव का नैसर्गिक कारक हैं , संतान का नैसर्गिक कारक है , गुरू जीव है । छठा भाव रोग का होता है , सूर्य के निकट तीन अंश तक गुरू और पंचमेंश हो तो विशेष रूप से अस्त हो जाते है । अतः छठे भाव में बैठकर सप्तम पूर्ण दृष्टि से द्वादश भाव को देखता है । द्वादश भाव पत्नी का छठा भाव है । छठा से दुसरा भाव गर्भाशय का है ।
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