संतान से संबंधित चिंता

"पंचमेश का यदि छठे, आठवें , बारहवें भाव के स्वामी के साथ संबंध हो जाए तो यह योग बनता है"

इस योग में कुछ बातों का ख्याल रखें की पंचमेश शत्रु राशि में हो , नीच का हो साथ ही पाप ग्रहों के प्रभाव में हो । पंचम भाव पर भी पाप पीड़ित अवस्था में हो ।  किसी भी प्रकार का शुभ प्रभाव में ना हो,  तब यह योग ज्यादा प्रभावी रहता है। जितना ज्यादा पीड़ित अवस्था में होगा उतना ही अधिक संतान को लेकर चिंता बना रहेगा और यदि पंचम और पंचमेश कम पीड़ित हुए तो संतान संबंधित चिंता भी कम रहेगा। 

Comments

Popular posts from this blog

दशमांश कुंडली का महत्व

ब्रांड

अमर टापू धाम