दमा रोग के ज्योतिष कारण
श्वास नली में म्यूकस जमा हो जाने के कारण होता है। जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है और सूजन के कारण श्वास नली संकुचित हो जाता है । जन्म कुंडली में तृतीय एवं चतुर्थ भाव के मध्य का स्थान श्वसन प्रणाली का नेतृत्व करता है। तृतीय भाव श्वास नली एवं चतुर्थ भाव फेफ़डो का होता है। श्वास नली एवं फेफड़े आपस में जुड़े रहते हैं। यह सारा तंत्र श्वसन प्रणाली कहलाता है। इसलिए दमा रोग श्वसन प्रणाली के गड़बड़ी के कारण होता है। तृतीय भाव और चतुर्थ भाव का इस रोग में विशेष महत्व है। तृतीय भाव का कारक ग्रह मंगल है एवं चतुर्थ भाव का कारक ग्रह चंद्रमा है। तृतीय भाव में मिथुन राशि एवं चतुर्थ भाव में कर्क राशि पड़ता है , काल पुरुष की कुंडली में जो कि श्वसन प्रणाली का नेतृत्व करते हैं। जिसके परस्पर स्वामी ग्रह बुध एवं चंद्रमा है। इसलिए तृतीय भाव, चतुर्थ भाव, मंगल, चंद्रमा एवं बुध जब जातक की कुंडली में दूषित प्रभाव ( शनि, राहु ..) में रहते हैं तो दमा रोग होता है। दशा अंतर्दशा एवं गोचर में जब उपयुक्त भाव एवं ग्रह प्रभावित होते हैं । उस समय दमा रोग घेर लेता है यदि मारकेश की दशा चल रहा हो तो यह जानलेवा भी हो जाता है।
उपाय
1, कनिष्ठा और अनामिका उंगलियों को अंगूठे की जड़ से मिलाएं , मध्यमा उंगली को अंगूठे के सिर से मिलाएं और तर्जनी को बिल्कुल सीधी रखें। दोनों हाथों में इस प्रकार की क्रिया करें। यह योग 15 ,15 मिनट दिन में 3 बार करें।
2, दोनों हाथों की मध्यमा उंगली को मोढ़ कर उनके नाखूनों को आपस में मिलाएं शेष उंगलियों को सीधा और एक दूसरे से अलग अलग रखें। यह योग पाच पाच मिनट दिन में 5 बार करें।
3, शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से तीन सोमवार तक लगातार सफेद रुमाल में मिश्री और एक चांदी का टुकड़ा बांधकर किसी नदी में प्रवाहित करें।
4, रविवार को एक पात्र में जल भरकर उसमें चांदी की अंगूठी डाल दें सोमवार को उस जल को खाली पेट पीने से दमा रोग में लाभ मिलता है।
5, प्रतिदिन शंख बजाने से दमा रोग में लाभ मिलता है।
नोट – दवाई एवं ज्योतिष उपाय किसी डॉक्टर या ज्योतिषी से परामर्श लेकर ही करें।
बढ़िया जानकारी 👍
ReplyDelete