बेटियों को चाहिए न्याय

आज ट्यूटर में देख रहा हूं हथरस मामले में राजनीतिक पार्टी और उसके नुमाइंदे या अनुनायी कहे जो एक दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं। मात्र राजनीति के लिए शब्दों का बाण चला रहे हैं।
 ऐसे समय में जबकि लोगों को अपनी राजनीतिक पार्टी को भूल कर सिर्फ बेटी को न्याय दिलाने के मामले में लिखना चाहिए।
परंतु खेल कुछ और ही खेला जा रहा है।
उदाहरण दे रहे हैं कि इस राज्य में इतना केस  दर्ज है  उस राज्य में उतना केस है। 
एक दूसरे को पर आरोप-प्रत्यारोप कर मात्र राजनीतिक बयानबाजी चल रहा है।
परंतु किसी को बेटी की चिंता नहीं है।
अपराध चाहे किसी भी राज्य में हो।
अपराध तो अपराध है।
साथ ही कुछ अधिक चलाक लोग।
पीड़ित बेटी को राजनीतिक रोटी सेकने के लिए जाति विशेष वर्ग विशेष के दायरे में बांटने से भी पीछे नहीं रहते।
दोषियों को भी जाति विशेष धर्म विशेष वर्ग विशेष में बांट कर देखते हैं।
इस प्रकार से बांटना ही किसी भी आंदोलन को कमजोर कर देता है।
भले राजनीतिक पार्टी वाले अपने राजनीतिक स्वार्थ पूरा कर ले।
परंतु बेटी को न्याय प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न होता है।
अपराधी को सिर्फ अपराधी समझे ना तो उसके जात देखे ना तो उसका धर्म देखें।
तभी बेटियों पर हो रहे अत्याचार पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
जो भी पीड़िता है वह भारत की बेटी है।
और उसे सिर्फ बेटी के नजर से देखें।
तभी तो कानून में कड़े संशोधन होंगे।
नहीं तो हर दिन कहीं न कहीं बेटी के ऊपर अत्याचार होते रहेंगे।

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