उलट कंबल

उलटकंबल का औषधीय गुण 

उलटकम्बल प्रकृति से कड़वा होता है। यह योनिरोग, गर्भाशय संबंधी रोग, प्रदर, पेट दर्द, अर्श या पाइल्स तथा आध्मान या पेट संबंधी समस्याओं में फायदेमंद होता है। यह मासिकधर्म की गड़बड़ी से उत्पन्न बांझपन को दूर करने में भी मदद करता है।

उलटकंबल की छाल गर्भाशय को बल प्रदान करने वाली तथा गर्भाशय शोधक होती है। इसकी जड़ गर्भस्राव से राहत दिलाने वाली तथा स्तम्भक होती है। इसके पत्ते  प्रशामक होते हैं।

उलटकंबल के फायदे और उपयोग

उलटकंबल मूल रूप से यौन रोग और महिलाओं के गर्भाशय संबंधी रोग के लिए फायदेमंद होता है। इसके अलावा उलटकंबल औषधी के रूप में कौन-कौन से बीमारियों के लिए फायदेमंद है,चलिये इसके बारे में आगे जानते हैं-

सिरदर्द से आराम दिलाने में फायदेमंद उलटकंबल

 सिर के दर्द होना एक आम समस्या है। उलटकंबल का ऐसे इस्तेमाल करने पर सिरदर्द के परेशानी से जल्दी आराम मिल जाता है। उलटकंबल के पत्तों को पीसकर लगाने से दर्द से जल्दी राहत मिलती है।

लंग्स के सूजन से राहत दिलाने में लाभकारी उलटकंबल 

उलटकंबल का औषधीय गुण गलेेे के दर्द और फूफ्फूस के सूजन को कम करने में जल्दी काम करता है। उलटकंबल जड़ के रस को पीने से लाभ मिलता है।

प्रमेह के इलाज में उपयोगी उलटकंबल 

उलटकंबल के पत्ते का काढ़ा पीने से मधुमेह रोग के लक्षणों को नियंत्रित कर पाने में सहायता मिलती है।

मासिक धर्म या पीरियड्स संबंधी समस्याओं में फायदेमंद उलटकंबल 

मासिक धर्म संबंधी विभिन्न समस्याओं में उलटकंबल बहुत काम आता है। इसके बारे में आगे विस्तार से जानते हैं कि ये कैसे और किन-किन समस्याओं के इलाज में औषधि के रूप में काम करता है।

-उलटकंबल जड़ के छाल का स्वरस बनाकर 2 मिली की मात्रा में कुछ समय तक नियमित सेवन से मासिक-धर्म के समय होने वाली दर्द से राहत मिलती है।

-उलटकंबल की 1 किलो जड़ को कुट कर 4 ली जल में पकाएं, 1 ली शेष रहने पर इसमें 115 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण और सवा किलो गुड़ मिलाकर, चीनी मिट्टी के पात्र में बन्दकर, धान्य राशि यानि चावल में कुछ दिनों के लिए दबा दें; फिर निकालकर, छानकर बोतलों में भर लें। इसको 10-25 मिली मात्रा में लेकर, समान मात्रा में जल मिलाकर मासिकधर्म के 1 सप्ताह पहले से, मासिकधर्म होने तक सुबह-शाम सेवन करें। इसके प्रयोग से मासिक-विकारों से राहत मिलती है।

अनियमित मासिक धर्म के साथ ही जांघ और कमर में विशेष पीड़ा हो तो 5 मिली जड़ के स्वरस या 1-2 ग्राम जड़ के चूर्ण में शक्कर या शहद मिलाकर सेवन करने से दो दिन में ही लाभ हो जाता है।

-उलटकंबल की 50 ग्राम सूखी छाल को यवकुट कर 625 मिली पानी में पकाकर, काढ़ा तैयार कर, 10-20 मिली मात्रा में दिन में तीन बार देने से कुछ ही दिनों में मासिकधर्म उचित समय पर होने लग जाता है। इसको एक सप्ताह पूर्व शुरू कर ऋतुस्राव यानि मासिक धर्म आरम्भ होने तक देना चाहिए।

-4 ग्राम उलटकंबल जड़ के छाल के चूर्ण तथा 7 नग काली मिर्च को जल के साथ पीसकर मासिकधर्म के समय 7 दिन तक सेवन करने (2-4 मास तक यह प्रयोग करने) से गर्भाशय के सब दोष मिट जाते हैं, यह प्रदर और बन्धयत्व की सर्वश्रेष्ठ औषधि है। आहार यानि भोजन में केवल दूध भात लें।

सूजाक या पूयमेह के इलाज में फायदेमंद उलटकंबल 

सूजाक या गोनोरिया एक यौन संचारित रोग होता है। उलटकंबल के ताजे पत्ते और तने की छाल को समान मात्रा में लेकर फाण्ट बनाकर प्रयोग करने से सूजाक में लाभ होता है। इसके अलावा 5 मिली उलटकंबल के पत्ते एवं तने के स्वरस का सेवन करने से पूयमेह में लाभ होता हैं

आमवात या अर्थराइटिस के दर्द से दिलाये राहत उलटकंबल 

आजकल किसी भी उम्र में अर्थराइटिस की समस्या हो जाती है, इससे राहत पाने के लिए उलटकंबल के पत्ते का काढ़ा बनाकर परिसिंचन तथा बफारा या भाप लेने से आमवात या अर्थराइटिस में लाभ होता है।

रोमकूप में होने वाले सूजन से राहत दिलाने में फायदेमंद 

उलटकंबल के जड़ को पीसकर लगाने से रोमकूप के सूजन तथा प्रमेह पिड़का यानि त्वचा में मुँहासा या दाना जैसा होने पर उस पर लगाने से जल्दी ठीक हो जाता है।

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