विवाह के उम्र का गणना
अक्सर यह प्रश्न माता-पिता , लड़के एवं लड़कियां , एवं उनके रिश्तेदार एक ज्योतिष से पूछते है। विवाह कब होगा यह जानने के लिए
1, विंशोत्तरी महादशा पद्धति,
2, गोचर पद्धति द्वारा,
3, ग्रहों द्वारा संकेतित आयु के आधार पर।
इन तीन पद्धति के माध्यम से विवाह की आयु की गणना किया जाता है। यदि जन्म कुंडली में सप्तम भाव सप्तमेश शुक्र आदि दूषित न हों तो उसका विवाह सामान्य वैवाहिक आयु में होगा। ऐसा मानना चाहिए। सामान्य आयु में विवाह के योग अथवा विलम से विवाह के योग तो जन्म कुंडली में नहीं है इसका विचार कर ले। इसके पश्चात उपरोक्त पद्धति से विवाह की आयु का गणना करें।
1, विंशोत्तरी महादशा पद्धति के आधार पर--
निम्न ग्रहों की दशा अंतर्दशा में विवाह होता है।
i, सप्तमस्थ ग्रह की दशा अंतर्दशा में,
ii, सप्तम को देखने वाले ग्रह की दशा अंतर्दशा में,
iii, सप्तमेश की दशा अंतर्दशा में,
iv, सप्तमेश द्वारा अधिष्ठित राशि के स्वामी की दशा में,
v, सप्तमेश द्वारा अधिष्ठित नवांश राशि के स्वामी की दशा में,
vi, शुक्र चंद्र एवं गुरु की दशा में।
उपरोक्त ग्रहों के अतिरिक्त निम्न ग्रहों की दशा अंतर्दशा में भी विवाह संपन्न होते हैं।
i, द्वितीयेश द्वारा अधिष्ठित राशि के स्वामी के दशा में,
ii, सप्तमेश से युत ग्रह की दशा में,
iii, सप्तमेश के नक्षत्र में स्थित ग्रह की दशा में,
iv, सप्तमेश से युत राहु केतु की दशा में,
v, नवमेश या दशमेश की दशा अंतर्दशा में,
vi, द्वितीयेश की दशा अंतर्दशा में,
vii, द्वितीयेश के नवांशेश की दशा में,
viii, शुक्र द्वारा अधिष्ठित नक्षत्र के स्वामी की दशा अंतर्दशा में।
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