मृगशिरा नक्षत्र और रोग

मृगशीरा नक्षत्र
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इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह मंगल है । इस नक्षत्र के पहले दो चरण वृषभ राशि में आता है शेष तृतीय और चतुर्थ चरण मिथुन राशि में आता है । वृषभ राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है, मिथुन राशि का स्वामी ग्रह बुध है । इस नक्षत्र के चार चरण होते है । प्रथम चरण स्वामी ग्रह सूर्य ,द्वितीय चरण स्वामी ग्रह बुध, तृतीय चरण स्वामी ग्रह शुक्र, चतुर्थ चरण स्वामी ग्रह मंगल। मृगशीरा नक्षत्र में यदि क्रूर एवं पापी ग्रह जैसे - सूर्य , क्षीण चन्द्रमा , मंगल , शनि , राहु , केतु , षष्ठेश , अष्टमेश और द्वादशेश का प्रभाव हो तो निम्न रोग हो सकते है ---
पहले दो चरण में थोड़ी गाल, स्वर यंत्र , तालु रक्त वाहिनियाँ , टांसिल , ग्रीवा  के नसें में रोग हो सकता है। तीसरे  चौथे चरण में गला , गले का अवाज , बाज़ू व कंधे के रोग , कान ,ऊपरी पसलीयाँ के रोग हो सकते है । साथ ही सीत ज्वर , कफ , ठण्ड ,भौह के रोग ,मुहासे , हृदय रोग , खुजली , साइटिका , रक्त दोष , आँखों के रोग , अपच , एलर्जी , स्पाईनल कार्ड के रोग हो सकते है ।
इस नक्षत्र में रोग होने पर 3 ,5 दिन रहता है ।
उपाय - खैर का जड़ ।
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