लग्नेश का सप्तम भाव में फल -II
तुला लग्न की कुंडली में शुक्र लग्न एवं अष्टम भाव का स्वामी होता है। लग्नेश शुक्र अष्टम भाव में शत्रु बगल की राशि में बैठकर एक से अधिक स्त्री और पुरुष के प्रति आकर्षण पैदा करता है। यदि जातक इस ओर अधिक सक्रिय हो जाए। किसी तीसरे की वजह से वैवाहिक जीवन कष्ट पूर्ण हो जाता है। अष्टमी शुक्र के वजह से यौवन जनित रोग भी हो सकते हैं। जो कि वैवाहिक जीवन को कष्टमय में बनाते हैं।
वृश्चिक लग्न की कुंडली में मंगल लग्न एवं षष्टम भाव का स्वामी होता है। सप्तम भाव में शत्रु शुक्र की राशि में बैठकर पत्नी के स्वास्थ्य को खराब, एक से अधिक स्त्री और पुरुष के प्रति आकर्षण , पति या पत्नी का क्रोधी स्वभाव देता है। जिस वजह से वैवाहिक जीवन में कष्ट का सामना करना पड़ता है।
धनु लग्न की कुंडली में गुरु लग्न एवं चतुर्थ भाव का स्वामी है। सप्तम भाव में अपने शत्रु बुध की राशि में बैठने के वजह से कुछ वैचारिक मतभेद देता है। साथ ही गुरुजी भाव में बैठता उस भाव की हानि भी करता है। अतः वैवाहिक जीवन में खट्टा मीठा स्वाद का अनुभव करते हुए अपने जीवन को व्यतीत करते हैं।
मकर लग्न की कुंडली में शनि लग्न एवं द्वितीय भाव का स्वामी है। सप्तम भाव में शत्रु चंद्रमा की राशि में बैठने के कारण। विवाह होने में देरी होता है। द्वितीय भाव सप्तम भाव से आठवें भाव होने के कारण वैवाहिक जीवन में वैचारिक मतभेद लाता है।
कुंभ लग्न की कुंडली में शनि लग्न एवं द्वादश भाव का स्वामी है। यह शनि अपने प्रबल शत्रु सूर्य के राशि सीधे होने के कारण विवाह दिक्कत पैदा करता है। शनि द्वादशेश एवं सप्तम भाव से छठे भाव का स्वामी होने के कारण किसी तीसरे की वजह से वैवाहिक जीवन में कलह उत्पन्न हो जाता है। वैचारिक मतभेद भी बहुत ज्यादा रहता है । पति या पत्नी का स्वास्थ विवाह के बाद कमजोर रहने लगता है। जिस वजह से वैवाहिक जीवन कष्ट पूर्ण हो जाता है।
मीन लग्न की कुंडली में लग्नेश गुरु लग्न एवं दशम भाव का स्वामी होता है। जोकि अपने शत्रु बुध की राशि में बैठकर आपसी वैचारिक मतभेद का कारण बनता है। इनका वैवाहिक जीवन खट्टे मीठे स्वाद लेते हुए आगे बढ़ता है।
उपरोक्त फलादेश सामान्य फलादेश है शुभ एवं अशुभ ग्रहों के प्रभाव से सप्तम भाव के फल में परिवर्तन आ जाता है। मुख्य रूप से सप्तम सप्तमेश शुक्र और गुरु शुभ प्रभाव में हो तो वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। यदि उपरोक्त घटक पाप प्रभाव में हो तो वैवाहिक जीवन कष्ट में रहता है।
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