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Showing posts from February, 2021

पंचम भाव

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पंचम भाव जन्म कुंडली का यह भाव महत्वपूर्ण है इस भाव को त्रिकोण भी कहा जाता है। त्रिकोण से आशय है - लग्न भाव, पंचम भाव और नवम भाव। लग्न जहां हम स्वयं हैं हमारा शरीर है। जन्म कुंडली में चाहे लाखों अच्छे योग हो लेकिन हमारा लग्न और लग्नेश कमजोर हो तो हम उस अच्छे योगों का लाभ नहीं ले पाते। इसे कुछ इस तरीके से भी समझ सकते हैं मान लीजिए कोई मनुष्य स्वास्थ्य रूप से कमजोर है या यूं कहिए कि वह 60 किलो का वजन उठा सकता है परंतु यदि उस मनुष्य को 120 किलो का वजन उठाने को मिले तो वह उस भार के नीचे दब जाएगा। और अपना अहित कर लेगा। अतः लग्न और लग्नेश का मजबूत होना अत्यंत आवश्यक है। दूसरा त्रिकोण है पंचम भाव,  पंचम भाव विद्या का है, हममे शारीरिक बल तो है सभी प्रकार की शारीरिक क्षमता है परंतु यदि विद्या ज्ञान के मामले में हम कमजोर हैं तो भी हम अपने कुंडली में बनने वाले अच्छे योगों का फल प्राप्त नहीं कर पाते। इसी प्रकार से नवम भाव धर्म त्रिकोण है। हमारा मान सम्मान , हमारे जीवन में बुलंदियां , हमारे द्वारा किए गए धर्मगत् आचरण पर ही निर्भर करते हैं। क्योंकि हमारा चरित्र सही नहीं है तो हमारे अ...

पेप्टिक अल्सर

 आयुर्वेद के अनुसार मानव शरीर में अग्नि मूल है। जब तक शरीर में अग्नि संतुलित रहती है, तब तक स्वास्थ्य का अनुवर्तन होता रहता है। इसलिए शरीर में प्राण और स्वास्थ्य अग्निमूलक हैं। शरीर में मंदाग्नि रहने से कई उदर रोग उत्पन्न होते हैं। मानसिक दबाव और तनाव भरी जिंदगी जीने वालों के शारीरिक विकारों में ग्रहणी और पाचन संस्थान के रोग ज्यादातर दिखाई देते हैं, जिनमें अल्सर सबसे अधिक पायी जाने वाली व्याधि है। मानव शरीर में आमाशय और ग्रहणी आहार नाल के सबसे महत्वपूर्ण भाग हैं। आमाशय आहार नाल का सबसे चैड़ा भाग है, जो अन्न नालिका के अंत से ले कर छोटी आंत के प्रारंभ के मध्य स्थित रहता है। आमाशय का कार्य है आहार को ग्रहण करना, अपने पाचक रसों को उसमें मिलाना, अपनी पेशियों द्वारा भोजन का मंथन करना और उसे आगे की तरफ धकेल कर ग्रहणी में भेजना। ग्रहणी छोटी आंत का सबसे चैड़ा और प्रारंभिक भाग है, जिसका आकार ‘सी’ अक्षर के समान है। जब अमाशय की भित्ति में घाव (व्रण) बन जाता है, तो उसे ‘आमाशय व्रण’ कहा जाता है। जब आमाशय और ग्रहणी दोनों में ही एक साथ घाव बन जातें हैं, तो उसे ‘गैस्ट्रोड्यूडेनल अल्सर’ कहा जाता है और...

स्वर शास्त्र से विवाह संबंधी जानकारी प्राप्त करना

यह तो हम जानते हैं कि स्वर शास्त्र में नाक के नथुने से निकलने वाले वायु के प्रवाह से चंद्र स्वर , सूर्य स्वर और सुषुम्ना के बारे में जानकारी प्राप्त होता है। इडा, पिंगला और सुषुम्ना नाड़ी जिसे कहते हैं। एक ज्योतिषी के पास विवाह के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लड़के और लड़की पक्ष के लोग आते हैं और अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए ज्योतिषी से प्रश्न पूछते हैं। इन प्रश्नों का उत्तर हम स्वर शास्त्र के माध्यम से भी दे सकते हैं। विवाह होगा या नहीं? यदि होगा, तो कब?  उत्तर: यदि प्रश्नकर्ता ज्योतिषी के दायीं ओर बैठकर प्रश्न करे और उत्तरदाता का दायांस्वर चलता हो, तो विवाह शीघ्र होगा।  इसके विपरीत यदि प्रश्नकर्ता उत्तरदाता के बायीं ओर बैठकर प्रश्न करे और उस समय उत्तरदाता का दायां स्वर चलता हो, तो विवाह में विलंब होगा।  यदि प्रश्नकर्ता ज्योतिषी के बायीं ओर बैठकर प्रश्न करे और उस समय ज्योतिषी का भी बायां स्वर प्रवाहित हो रहा हो, तो विवाह नहीं होगा। यदि प्रश्नकर्ता दायीं अथवा बायीं ओर अर्थात किसी भी तरफ बैठ कर प्रश्न करे और ज्योतिषी का सुषुम्ना स्वर चलता हो, तो विवाह नहीं होगा।...

40 प्लस वाले अपने रिश्ते पर ध्यान दें

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वैसे तो यह पोस्ट हंसने के लिए लिखा गया है परंतु जरा गौर करें तो पाएंगे कि आपके साथ ऐसी स्थिति है तो रिश्ता मैं अब खुमारी की कमी है। और आपके बीच दूरी आने लगा है। निश्चित है कि दूरी वक्त के साथ आया होगा। घर परिवार की जिम्मेदारी , बच्चों के परवरिश के कारण आप एक दूसरे के साथ प्रेम युक्त समय ना दे पाना एक बहुत बड़ा कारण होगा। अब तो रूटीन हो गया होगा लेट से आना पति का घर, घर आ गए तो अपने काम में व्यस्त, मोबाइल कंप्यूटर में व्यस्त, दोस्तों के साथ गप मारने में व्यस्त, इसी प्रकार पत्नी बच्चों में व्यस्त, परिवार की छोटी बड़ी जरूरत को पूरा करने में व्यस्त, परिवार के प्रत्येक सदस्यों के खुशी के ख्याल रखने में व्यस्त, अपने चूल्हा चौका में व्यस्त, और अब तो महिलाओं के हाथ में भी मोबाइल आ गया है अतः अपने सोशल फ्रेंडों या ग्रुप में व्यस्त, एक दूसरे के लिए समय ही नहीं है। यदि ऐसी स्थिति है आपकी तो थोड़ा बदलिए और एक दूसरे को समय दीजिए।  दोनों साथ में समय बिताएं, साथ में पार्क में घूमने जाएं , कहीं लॉन्ग ड्राइव में जाए, ऐसा माहौल बनाइए कि घर में ही अपने प्यार के लिए कुछ पल चुराना सीखें, घर में ही साथ ...