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Showing posts from November, 2020

जन्म कुंडली के माध्यम से जीवन साथी के बारे में

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  प्रत्येक लड़की के मन में अपने जीवन साथी के लिए कुछ कल्पनाएं होती है। जैसे कि उसका पति सुंदर हो, हष्ट पुष्ट हो ,आकर्षक व्यक्तित्व वाला, पढ़ा-लिखा, उत्तम गुणों वाला हो सच्चरित्र हो । माता-पिता को भी अपने बेटी के प्रति कुछ ऐसा ही सपना होता है कि उनकी बेटी सुखी रहे, उसे अच्छा वर मिले, घर परिवार अच्छा हो। लड़की की जन्म कुंडली में सप्तम भाव से उसके भावी ‍जीवनसाथी के बारे में विचार किया जाता है। साथ ही नवांश कुंडली को भी देखना चाहिए। सप्तम भाव, सप्तमेश, सप्तम भाव में पड़ने वाले ग्रहों की दृष्टि , सप्तम भाव में अन्य ग्रहों की युति, सप्तमेश किन ग्रहों के साथ है, सप्तमेश वक्री है या अस्त, नीच का तो नहीं ऐसी बातों का अवलोकन करना चाहिए। प्रत्येक कन्या ऐसा जीवनसाथी चाहती है , जिस पर उसे गर्व हो।  यानी वह उसकी चाहत की कसौटी पर खरा उतरता हो। लड़कियाँ लड़के के रंग-रूप या कद-काठी की बजाए उसकी पढ़ाई- लिखाई, कमाई और व्यक्ति के गुणों को अधिक महत्व देती हैं। यदि पति हैंडसम हो और गुणों की खान भी तो सोने पर सुहागा। लड़कियाँ ऐसे लड़के से शादी करना चाहती हैं जो खुले विचारों का हो जिसकी सोच दक...

कुंडली मिलान करते समय अल्पायु योग विचार

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अक्सर कुंडली मिलान करते समय पति का स्वभाव, दिशा , सास ससुर के बारे में, देवर देवरानी , जेठ जेठानी के बारे में , पति के घर परिवार को जानने के बाद एक ज्योतिष से लड़के के आयु के बारे में जरूर पूछते हैं। कि लड़का दीर्घायु है मध्यम आयु है की अल्पायु है।कहीं हमारी बेटी को बुरे दिन तो नहीं देखने पड़ेंगे ।हमें आयु का विचार करते समय हस्तरेखा में जीवन रेखा निम्न मंगल क्षेत्र के आसपास कटा तो नहीं है। या इस क्षेत्र में समाप्त तो नहीं हो गया है। साथ ही हृदय रेखा अनामिका उंगली के नीचे समाप्त नहीं हो गया है। यदि ऐसा है तो जातक की आयु अल्पायु होगा। साथ ही यह भी देख ले की कोई सहायक रेखा इस दोष को दूर तो नहीं कर रहा। अल्पायु योग 16 से 32 वर्ष को मानते हैं। अधिक से अधिक 40 वर्ष को अल्पायु योग माना जाता है। अब प्रश्न उठता है कि क्या अल्पायु की शादी कराई जाए। हमारे मत से यदि वर या वधू की आयु दीर्घायु या मध्यम आयु नहीं है तो ऐसी शादी किसी काम की नहीं। हम यहां पर जन्म कुंडली मैं निर्मित अल्पायु योग के कुछ योग के बारे में भी लिख रहे हैं। ऐसा नहीं है कि इतने ही योग होते हैं। परंतु सबको लिख पाना संभ...

चतुर्थ भाव

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चतुर्थ भाव सुख स्थान या मातृ स्थान के नाम से जाना जाता है| इस भाव में व्यक्ति को प्राप्त हो सकने वाले समस्त सुख विद्यमान है इसलिए इसे सुख स्थान कहते हैं| मनुष्य का प्रथम सुख माता के आँचल में होता है| केवल वही है जो व्यक्ति की तब तक रक्षा करती है जब तक वह अपने सुख को अर्जित करने में सक्षम न हो जाए| चतुर्थ भाव व्यक्ति की माता से संबंधित समस्त विषयों की जानकारी भी देता है इसलिए इसे मातृ भाव भी कहा जाता है| तृतीय भाव से दूसरा भाव होने के कारण यह भाई-बहनों के धन को भी सूचित करता है| मानव जीवन में इस भाव का बहुत अधिक महत्व है| किसी भी मनुष्य के पास भौतिक साधन कितनी भी अधिक मात्रा में क्यों न हों यदि उसके जीवन में सुख-शांति ही नही तो क्या लाभ? इसलिए इस भाव से मनुष्य को प्राप्त होने वाले सभी प्रकार के सुखों का विचार किया जाता है| जन्मकुंडली में यह भाव उत्तर दिशा तथा अर्द्धरात्रि को प्रदर्शित करता है| इस भाव से सुख के अतिरिक्त माता, वाहन, शिक्षा, वक्षस्थल, पारिवारिक सुख, भूमि, कृषि, भवन, चल-अचल संपति, मातृ भूमि, भूमिगत वस्तुएं, मानसिक शांति जनता आदि का विचार किया जाता है|  यह स्थान कालपुरुष...

दशमांश कुंडली का महत्व

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महर्षि पराशर जी ने राशि को 10 भागों में बांटा जिसके आधार पर राशि के दसवें हिस्से को दशमांश कुंडली का नाम दिया। इस प्रकार 1 अंश का मान 3  हुआ । विषम राशि में उसी राशि से तथा सम राशि में नववी राशि से दशमांश गणना करने का विधान बनाया। पूर्वादि दस दिशाओं-विदिशाओं के 10 देवता क्रम से होते हैं, जिनके नाम पर प्रत्येक अंश का नामकरण किया गया। जिनके नाम निम्न है इंद्र, अग्नि, यम, राक्षस, वरुण, वायु, कुबेर, ईशान , ब्रह्मा, अनंत। विषम राशियों में क्रम से तथा सम राशियों में विपरीत क्रम अनुसार अधिपति होते हैं। दशमांश कुण्डली को D - 10 कुण्डली भी कहा जाता है। दशमांश कुण्डली का उपयोग व्यवसाय मे उन्नति , प्रतिष्ठा, सम्मान और आजीविका में बढोत्तरी, समाज में सफलता प्राप्त करने इत्यादि को देखने के लिए किया जाता है। दशमांश कुण्डली की विवेचना भी उतनी ही आवश्यक हो जाती है, जैसे लग्न या नवांश कुण्डली का महत्त्व है । इस कुण्डलि में दशम भाव दशमेश का सर्वाधिक महत्व है। पहला दशमांश (इंद्र दश्मांश)  पहला दशमांश 0 से 3 डिग्री का होता है यह इंद्र दशमांश कहलाता है। यह धन संपन्नता, मान सम्मान का सूचक होता है। ज...

शिक्षक बनने के ज्योतिष योग

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शिक्षक हमारे समाज में महत्वपूर्ण स्थान रखते है। किसी भी छात्र को योग्य बनाने व उसको शारीरिक व मानसिक तौर पर सक्षम बनाने में शिक्षक की अहम भूमिका होता है। जैसा कि हमारे शास्त्रों में विदित है माता-पिता के पश्चात वह गुरु ही है जो छात्र का मार्गदर्शन करके उसको भविष्य के लिए तैयार करता है जिससे वह भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना कर सके व उसे सफलता प्राप्त हो सके। अतः गुरु का स्थान देवता से पूर्व कहा गया है। गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः  ज्योतिष शास्त्र में अध्यापन क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिये कुंडली में गुरु तथा बुध का बली होना आवश्यक है। गुरु ज्ञान के कारक माने जाते हैं तथा बुध बुद्धि के कारक होते हैं। कुंडली में इन दोनों ग्रहों की शुभ स्थिति तथा इनका लग्न, द्वितीय, पंचम, छठे, दसवें या एकादश स्थान में से किसी भी प्रकार युति, दृष्टि संबंध स्थापित होने पर जातक को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होता है। यदि इस योग में ‘गुरु’ विशेष रूप से बली हैं तो व्यक्ति समाज में विशेष स्थान प्राप्त करता ह...

जब चाहत शिखर का हो

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✍️ एस्ट्रो राजेश्वर आदिले जब चाहत शिखर का होता है । तो छल कपट का सामना करना पडता है । जब चाहत शिखर का होता है । तब संघर्षों के दौर से गुजरना पडता है । जब चाहत शिखर का होता है । तब काटो पर भी चलना पडता है । जब चाहत शिखर का होता है । तब साजिशों के चक्रव्युह का सामना करना पडता है । जब चाहत शिखर का होता है । तब अपने भी धोखा देते है । जब चाहत शिखर का होता है । तब प्रियों से बीछडना पडता है । जब चाहत शिखर का होता है । तो दुश्मन भी हरफन मौला होता है । जब चाहत शिखर का होता है । तब जो मुसीबत का रोना रोता है , वह फर्श मे मिल जाता है । जब चाहत शिखर का होता है । तो आग में जल कर कुंदन बनना पडता है ।  और तब शिखर पर पहुँचता है ।

आखिर सर्विस के प्रति दीवानगी क्यों

एक समय था जब सरकारी नौकरी का महत्व ही नहीं था।  वह समय था हमारे दादा और पिता का कालखंड। उस समय यदि कोई व्यक्ति थोड़ा सा भी पढ़ लिख लेता था तो सरकारी नौकरी आसानी से मिल जाता था। परंतु सतनामी समाज के लोग उस समय नौकरी को महत्व नहीं देते थे। कारण था, कृषि कार्य से आत्मनिर्भर रहना। नौकरी कर किसी के सामने झुकना नहीं चाहते थे। हमारे दादा भी सर्विस में थे हमारे  चाचा भी सर्विस में थे हमारे पिता भी सर्विस में थे, हमारा पूरा परिवार सर्विस में था । हमारे मामा जी सर्विस नहीं किए उनकी भी नौकरी लगी लेकिन उन्हें छोड़ दिए ऐसे ही बातें उस समय अधिकांश लोगों ने महसूस किया होगा। साथ ही बहुत से लोगों ने सुना होगा। जहां तक मेरा सवाल है मुझे बचपन से व्यवसाय करना पसंद था इसलिए व्यवसाय करता हूं साथ ही लिक से हटके कुछ करना चाहता था।  परंतु कृषि कार्य से अच्छी इनकम ना होना, कृषि का रकबा दिन-प्रतिदिन कम होते जा ना। सर्विस वालों की आर्थिक सुदृढ़ता एवं उनकी जीवन शैली से प्रभावित होना। यह कुछ कारण है जिसके वजह से नौकरी के प्रति लोगों का रुझान बढ़ने लगा है। जहां तक मुझे लगता है 2004 या 2005 के बाद बहुत ...

मदार की जड़ का उपयोग संतान प्राप्ति में

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ज्योतिष उपाय शादी के कई वर्षों बाद तक संतान नहीं हो रहा हो तो गुरुवार के दिन दाल चावल और नारियल लेकर मदार के पौधे के पास जाए, जिस मदार के पौधे का जड़ निकालना हो उसे निमंत्रण दे आए और शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को जाकर जड़ को निकाल कर ले आए। इस जड़ को पूजा पाठ कर अभिमंत्रित कर दे और लाल कपड़े भी स्त्री अपने कमर में बांध लें । तो निश्चित ही संतान प्राप्त होगा। औषधि प्रयोग महिलाओं की प्रजनन क्षमता में वृद्धि करने के लिए में आक की जड़ का उपयोग किया जाता है । इसके लिए सफेद फूल वाले आक की जड़ को छाया में सुखाकर बारीक चूर्ण तैयार कर लें। एक गिलास गाय के दूध के साथ 1-2 ग्राम आक के पाउडर का सेवन करना लाभदायक रहता है। नोट -प्रयोग करने से पहले अपने निकटवर्ती एस्ट्रोलॉजर & आयुर्वेदाचार्य से मिल कर परामर्श जरूर ले ।

गोरोचन

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गोरोचन आज के जमाने में एक दुर्लभ वस्तु हो गई है. गोरोचन गाय के शरीर से प्राप्त होता है. कुछ विद्वान का मत है कि यह गाय के मस्तक में पाया जाता है, किंतु वस्तुतः इसका नाम ‘गोपित्त’ है, यानी कि गाय का पित्त. हल्की लालिमायुक्त पीले रंग का यह एक अति सुगंधित पदार्थ है, जो मोम की तरह जमा हुआ सा होता है. अनेक औषधियों में इसका प्रयोग होता है. यंत्र लेखन, तंत्र साधना तथा सामान्य पूजा में भी अष्टगंध-चंदन निर्माण में गोरोचन की अहम भूमिका है। गोरोचन का नियमित तिलक लगाने से समस्त ग्रहदोष नष्ट होते है। आध्यात्मिक साधनाओं के लिए गारोचन बहुत लाभदायी है। कहते यह भी हैं कि गोरोचन ( गाय की नाभि से निकलता है हैं, परंतु वास्तव में गोरोचन का निर्माण पित्ताशय में होता है। #गोरोचन , पित्ताशय में बनने वाली एक पथरी है । जिसका शुद्ध नाम है. (गौ पित्त)  आज कल बाजार मॆ दस बीस रुपये मॆ नकली गोरोचन बहुत बिक रहा है , असली गोरोचन से हम लोग बहुत दूर होते है ,गोरोचन गाय के अंदर बहुत ही कम मात्रा में होता है, इसका रंग हल्का स्लेटी कलर मॆ कुछ मटमेले रंग जैसा होता है और यह गोल तिकोने अथवा छोटे छोटे दाने के आ...

उलट कंबल

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उलटकंबल का औषधीय गुण  उलटकम्बल प्रकृति से कड़वा होता है। यह योनिरोग, गर्भाशय संबंधी रोग, प्रदर, पेट दर्द, अर्श या पाइल्स तथा आध्मान या पेट संबंधी समस्याओं में फायदेमंद होता है। यह मासिकधर्म की गड़बड़ी से उत्पन्न बांझपन को दूर करने में भी मदद करता है। उलटकंबल की छाल गर्भाशय को बल प्रदान करने वाली तथा गर्भाशय शोधक होती है। इसकी जड़ गर्भस्राव से राहत दिलाने वाली तथा स्तम्भक होती है। इसके पत्ते  प्रशामक होते हैं। उलटकंबल के फायदे और उपयोग उलटकंबल मूल रूप से यौन रोग और महिलाओं के गर्भाशय संबंधी रोग के लिए फायदेमंद होता है। इसके अलावा उलटकंबल औषधी के रूप में कौन-कौन से बीमारियों के लिए फायदेमंद है,चलिये इसके बारे में आगे जानते हैं- सिरदर्द से आराम दिलाने में फायदेमंद उलटकंबल  सिर के दर्द  होना एक आम समस्या है। उलटकंबल का ऐसे इस्तेमाल करने पर सिरदर्द के परेशानी से जल्दी आराम मिल जाता है। उलटकंबल के पत्तों को पीसकर लगाने से दर्द से जल्दी राहत मिलती है। लंग्स के सूजन से राहत दिलाने में लाभकारी उलटकंबल  उलटकंबल का औषधीय गुण गलेेे के दर्द और फूफ्फूस क...

दुःख दर्द

 जब तक इंसान का जिवन है दुख दर्द से नाता तो रहेगा ही , इससे कोई भी मनुष्य बच नही सकता है । कुछ मनुष्य होते है जो इससे जल्दी बाहर आ जाते है लेकिन कुछ मनुष्य दर्द के सागर में डुबे रहते है । हमेशा अपने दुख ,दर्द के बारे में ही बात करते रहते है । जिसके कारण धिरे धिरे इनके मित्र , परिचित , रिस्तेदार कटने लगते है । जब इन्हे देखते है तो दुर से ही रास्ता बदल देते है । कारण है कि हर मनुष्य अपने जीवन में परेशान है , वह दो पल अपने मित्रो , परिचित , रिस्तेदारो के साथ रह कर खुशनुमा समय व्यतीत करना चाहता है । अतः यदि आप अपने दुख दर्द से बाहर निकलना चाहते है लाख गमों दर्द हो आपके सीने मे दफ़न फिर भी मुस्कान बिखेरे  , दुनिया को हसाये  , जब लोग आपके पास आये तो अपना दुख दर्द भूल जाये  यक़ीन मानिये इस राश्ते पर चल के आप सबके चहेते बन जायेंगे और आपका भी दर्द धीरे धेरे खत्म हो जायेगा । अतः एक नयी शुरुआत करे ख़ुशियाँ बाँटने का , शायरी , चुटकीला , अपना हुनर जो भी आपके अंदर खुबी है, उसे बाँट कर ख़ुशियाँ बाँटे  । इससे निश्चित ही आपके दोस्तों के दायरे बडता चला जायेगा  , आप सबके दिलो...