बहु संतति योग
"यदि पंचम स्थान में शुक्र की राशि या शुक का नवांश हो या पंचम भाव को शुक्र देखता हो तो यह योग बनता है।" इस सूत्र का पालन मिथुन लग्न और मकर लग्न के जन्म कुंडली में होगा। क्योंकि मिथुन लग्न से पंचम भाव मैं तुला राशि पड़ता है जबकि मकर लग्न से पंचम भाव में वृषभ राशि पड़ता है। वृषभ राशि और तुला राशि का स्वामी शुक्र होता है। शुक्र ग्रह को वैदिक ज्योतिष में सप्तम दृष्टि प्रदान किया गया है। अतः पंचम भाव को शुक्र को देखने के लिए एकादश भाव में स्थित होना पड़ेगा। एकादश भाव वृद्धि स्थान है। अतः पंचमेश जब एकादश भाव में बैठ कर पंचम भाव को देखता है तो संतान की वृद्धि करता है। एक बात का विशेष ख्याल रखें की पंचम भाव पर किसी शत्रु ग्रह की दृष्टि ना हो और ना ही पंचमेश पर किसी शत्रु ग्रह की युति , दृष्टि हो ना ही किसी प्रकार का पाप प्रभाव ना हो तभी आयोग पूर्णता फलित हो पाएगा। इस योग में पुत्र संतान होगा की पुत्री संतान होगा इसका कोई शर्त नहीं है ऐसे जातकों का बहुत से संतान होते हैं परंतु आजकल के समय में अधिक संतान लेने का रिवाज अब खत्म हो रहा है। साथ ही सरकार भी हम दो हमारे दो जैसे ...